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कहीं महाराष्ट्र में भी दिल्ली जैसा हाल न कर बैठे कांग्रेस

महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनाने को लेकर तीनों पार्टियों के बीच सहमति हो चुकी है. इस गठबंधन को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

Updated on: 22 Nov 2019, 10:37 AM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनाने को लेकर तीनों पार्टियों के बीच सहमति हो चुकी है. इस गठबंधन को अंतिम रूप दिया जा रहा है. महाराष्ट्र में कुछ ही समय में सरकार की गठन भी हो जाएगा लेकिन राजनीति के जानकार इस गठबंधन से सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को ही होने के कयास लगा रहे हैं. दरअसल बीजेपी को सत्ता से दूर करने के लिए कांग्रेस पहले भी अपने राजनीतिक विरोधी का समर्थन कर चुकी है. अतीत में कांग्रेस के लिए इस तरह के प्रयोग अच्छे साबित नहीं हुए हैं.

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दिल्ली में मिला था कांग्रेस को बड़ा झटका
2015 में हुए दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आमने सामने चुनाव लड़ी थी. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के सभी बड़े कद के नेताओं की घोटालों में शामिल होने की लिस्ट जनता के सामने रख दी थी. यहां तक कि दिल्ली में कांग्रेस का चेहरा रहे अजय माकन के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने मोर्चा खोल दिया था. जब चुनाव के नतीजे आए तो किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. दिल्ली की 70 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी को 32, आम आदमी पार्टी को 28 और कांग्रेस को 8 सीटें मिली. बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को बाहर से समर्थन दे दिया. कांग्रेस भले ही बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने में कामयाब रही हो लेकिन आम आदमी पार्टी को समर्थन देने के उसके फैसले ने दिल्ली की जनती को काफी मायूस किया. नतीजा यह हुआ कि अगले चुनाव में कांग्रेस दिल्ली में शून्य पर सिमट गई. जिस पार्टी की दिल्ली में लगातार 15 साल तक सरकार रही उसका एक भी विधायक जीतने में कामयाब नहीं हुआ.

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महाराष्ट्र में न हो जाए दिल्ली जैसा हाल
राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि शिवसेना की कट्टर हिंदुत्व की छवि रही है. शिवसेना लगातार अपनी इस छवि को लेकर सामना में कांग्रेस के खिलाफ अपना विरोध जता चुकी है. ऐसे में शिवसेना के साथ सरकार बनाना और उसे लम्बे समय पर चलाना कांग्रेस के सामने चुनौती होगी. इस गठबंधन में शिवसेना को मुख्यमंत्री और एनसीपी को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस के हाथ कोई बड़ा मंत्रालय ही लगेगा. जानकारों का कहना है कि इस गंठबंधन का निर्माण कांग्रेस के लिए नफा से ज्यादा नुकसान ही साबित होगा.