लड़की के लिए मुस्लिम युवक ने धर्म बदला, शादी रचाई, अब सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा
छत्तीसगढ़ में रहने वाली अंजलि जैन की इब्राहीम सिद्दीकी के साथ हुई शादी से जुड़ा है. हाईकोर्ट से कपल को साथ रहने की इजाज़त मिलने के बाद लड़की के पिता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दायर की थी.
नई दिल्ली:
'सिर्फ़ एक अच्छे प्रेमी ही नहीं, एक वफादार पति भी बनिए', सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह सलाह उस मुस्लिम शख्स को दी, जिसने एक जैन लड़की से शादी के लिए अपना धर्म परिवर्तन कर लिया. मामला छत्तीसगढ़ में रहने वाली अंजलि जैन की इब्राहीम सिद्दीकी के साथ हुई शादी से जुड़ा है. हाईकोर्ट से कपल को साथ रहने की इजाज़त मिलने के बाद लड़की के पिता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दायर की थी.
लड़की के पिता की आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर अर्जी में लड़की के पिता का कहना है कि ये शादी दरअसल एक ढोंग हैं और धर्मांतरण के रैकेट का हिस्सा है. लड़के ने पहले धर्म परिवर्तन का ढोंग करके शादी रचाई और बाद में फिर से इस्लाम धर्म अपना लिया. वरिष्ठ वकील मुकल रोहतगी लड़की के पिता की ओर से पेश हुए. उन्होंने दलील थी कि दो धर्म के मानने वाले लोगों के बीच शादी को लेकर ये रैकेट चल रहा है.
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जब ये मामला पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आया था, तो तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने लड़की की इच्छा के मुताबिक उसे घरवालों के साथ रहने को कहा था. इससके बाद अचानक से 70 पुलिसकर्मी उनके घर पहुँच गए और लड़की को लेते गए. मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट गया तो हाईकोर्ट ने पति के साथ रहने की इच्छा को देखते हुए लड़की को पति के साथ रहने को कह दिया.इसके खिलाफ लड़की के पिता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दायर की है.
लड़के के वकील की दलील
सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी इब्राहिम की ओर से और गोपाल शंकर नारायणन अंजलि जैन की ओर से पेश हुए . दोनों ने केरल के हदिया केस का उदाहरण दिया जिसमे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शादी को लेकर जांच कराने से इंकार कर दिया था .
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की टिप्पणी
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ किया कि वो शादी को लेकर कोई जांच नहीं कराने जा रहे . उनका मकसद सिर्फ इस मामले में तथ्यों को देखते हुए लड़की के हित को सुरक्षित रखना है. कोर्ट ने ये भी कहा कि बेंच अंतर्जातीय या फिर दो धर्म को मानने वाले लोगों की शादी के खिलाफ नहीं है. समाज में हिन्दू- मुस्लिम शादी स्वीकार्य है.अगर क़ानून के मुताबिक वो शादी करते है तो उसे कौन रोक सकता है. बल्कि ऐसी शादी सामाजिक सौहार्द को ही बढ़ाएगी. लेकिन हम लड़की
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कोर्ट ने लड़के से पूछा कि आर्य समाज मंदिर में शादी के बाद आपने नाम बदला है पर क्या आपने नाम बदलने के लिए सारे क़ानूनी कदम उठाए है. कोर्ट ने इस पर लड़के से एफिडेविट दाखिल कर जवाब देने को कहा है. इसके साथ ही राज्य सरकार से भी जवाब मांगा गया है. लडकी के पिता की ओर से दायर अर्जी में लड़की को पक्षकार नहीं बनाया गया था. कोर्ट में लड़की ने भी अर्जी दायर कर अपना पक्ष रखने की इजाजत मांगी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसकी इजाजत दे दी है. अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी.
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