3 साल पहले रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था जिगर का टुकड़ा, वॉट्सऐप के जरिए माता-पिता को मिला वापस
पुलिस ने इस लड़के की काफी जांच-पड़ताल की, लेकिन बच्चे का कहीं कुछ पता नहीं चला. वहीं शुभम के माता-पिता को अपने लापता बच्चे के मिलने की उम्मीद थी.
नई दिल्ली:
बेशक सोशल मीडिया के कई साइड इफेक्ट हों, लेकिन कई बार इसके कारण बड़ी कामयाबी भी मिलती है. ऐसा ही एक वाक्या मुंबई में देखने को मिला. मुंबई के कुर्ला नेहरु नगर इलाके में रहने वाला शुभम मांडवकर नाम का बच्चा 3 साल पहले अपने रेलवे स्टेशन से लापता हो गया था. लेकिन वॉट्सएप पर बने एक ग्रुप की वजह से लापता हुआ बच्चा महाराष्ट्र के अकोला में मिल गया.
मुंबई के कुर्ला नेहरु नगर इलाके में रहने वाला 3 साल का शुभम मांडवकर 22 मार्च 2016 को लापता हुआ था. 2016 में शुभम मुंबई के कुर्ला स्टेशन से लापता हुआ था. मुंबई के नेहरू नगर पुलिस थाने में लापता होने का मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने इस लड़के की काफी जांच-पड़ताल की, लेकिन बच्चे का कहीं कुछ पता नहीं चला. वहीं शुभम के माता-पिता को अपने लापता बच्चे के मिलने की उम्मीद थी.
मुंबई पुलिस ने भी लापता लड़के की खोज का प्रयास जारी रखा. पुलिस ने वॉट्सएप ग्रुप पर जानकारी डाली तो इस लड़के के अकोला में होने की बात सामने आई. अकोला के उत्कर्ष शिशु गृह में शुभम के जैसा दिखना वाला लड़का होने की खबर कुर्ला पुलिस को मिली. लेकिन ढाई साल पहले की फोटो से शुभम की पहचान नही कर सकते थे. ऐसे में कुर्ला पुलिस ने शुभम के माता-पिता को अकोला भेज दिया. जहां उन्होंने बच्चे की पहचान की.
मासूम शुभम तीन साल बाद अपने माता-पिता से मिला है. माता-पिता ने पुलिस का आभार व्यक्त किया है. शुभम के पिता विकी मांडवकर ने कहा, ''मुझे विश्वास था किे मेरा लापता बच्चा मुझे एक ना एक दिन मिलेगा. पुलिस की वजह से आज हम अपने बच्चे से मिल पाए.'' पुलिस निरीक्षक विलास शिंदे का कहना है कि बच्चा 2016 में लापता हुआ था. हमारे पुलिस अधिकारियों ने पुलिस के वॉट्सएप ग्रुप पर जनकारी के साथ लापता शुभम का फोटो अपलोड किया था.
ग्रुप पर फोटो अपलोड करते ही लड़के के अकोला में होने की बात सामने आई. अकोला के उत्कर्ष शिशु गृह में शुभम के जैसा दिखना वाला लड़का होने की खबर कुर्ला पुलिस को मिली. लेकिन तीन साल पहले की फोटो से शुभम की पहचान नही कर सकते थे. तब कुर्ला पुलिस ने शुभम के माता-पिता को अकोला भेज दिया. वहां उन्होंने बच्चे को पहचान लिया, तीन साल बाद शुभम को अपने माता-पिता मिले हैं.
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