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मछुआरे के हाथ लगी 200 किलो की ऐसी मछली, रातों-रात बन गया लखपति

ब्राजील के एक मछुआरे को अमेजन में स्थित अमाना सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिजर्व में एक ऐसी मछली हाथ लगी, जिसने उसे रातों-रात लखपति बना दिया. ये कोई आम मछली नहीं बल्कि पिरारुकु प्रजाति की मछली है.

Updated on: 25 Oct 2019, 11:13 PM

नई दिल्ली:

दुनियाभर में मछली पकड़कर अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले मछुआरों की संख्या करोड़ों में है. इनमें कई मछुआरे तो ऐसे हैं जिन्हें कई दिन भूखे पेट भी सोना पड़ता है. जबकि ऐसे लोगों की संख्या में भी कोई कमी नहीं है जो मछलियां बेचकर लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. लेकिन मछलियां बेचकर लाखों-करोड़ रुपये कमाने वाले मछुआरे कोई सामान्य मछुआरे नहीं होते, इन लोगों की बकायदा अपनी मोटर बोट होती है और कई लोगों की टीम भी होती है. इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे मछुआरे के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके पास न तो मोटर बोट है और न ही कई लोगों की टीम है. हालांकि ब्राजील का ये मछुआरा भी अब लखपति बन चुका है.

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ब्राजील के एक मछुआरे को अमेजन में स्थित अमाना सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिजर्व में एक ऐसी मछली हाथ लगी, जिसने उसे रातों-रात लखपति बना दिया. ये कोई आम मछली नहीं बल्कि पिरारुकु प्रजाति की मछली है. दुनिया के सबसे बड़े रेन फॉरेस्ट से पकड़ी गई इस मछली का वजन करीब 200 किलो बताया जा रहा है, ये करीब 3 मीटर लंबी है. पिरारुकु मछली मुख्य रूप से अमेजन की नदियों में ही पाई जाती है. इस मछली की खास बात ये है कि इसका मांस सफेद और काफी नरम होता है. ब्राजील में इस मछली की जबरदस्त डिमांड है. खासतौर पर रियो डी जेनेरियो में ऐसे कई रेस्टॉरेंट हैं, जहां इन मछलियों से पारंपरिक डिशेज बनाई जाती हैं.

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पिरारुकु के बारे में कहा जाता है कि इसे पकड़ने के लिए जुलाई से नवंबर तक का समय उपयुक्त होता है. इसके अलावा बाकी समय इन्हें नहीं पकड़ा जाता. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिसंबर से लेकर जून इन मछलियों का प्रजनन का समय होता है. लिहाजा, पिरारुकु की प्रजाति को बचाए रखने के लिए दिसंबर से जून के बीच इनका शिकार नहीं किया जाता है. रिपोर्ट्स में बताया गया है कि 1999 के समय ये प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर आ गई थी. उस समय इन मछलियों की कुल संख्या करीब 2500 हो गई थी. लेकिन संरक्षण के बाद अब इनकी संख्या करीब 2 लाख हो गई है.