Google Doodle: LGBTQ की प्राइड परेड के नाम है आज का गूगल डूडल, जानें क्यों है ये खास
जून का महीना भी बेहद खास है क्योंकि इस महीने में LGBTQ+ (लेस्बियन,गे, बायसेक्सुएल, ट्रांसजेंडर, और क्वीर) वाले लोग अपनी पहचान पर गर्व करते हैं और इसकी खुशी मनाते हुए प्राइड परेड निकालत है
नई दिल्ली:
गूगल हर खास दिन को क्रिएटिव डूडल के साथ मनाता आया है. जून का महीना भी बेहद खास है क्योंकि इस महीने में LGBTQ+ (लेस्बियन,गे, बायसेक्सुएल, ट्रांसजेंडर, और क्वीर) वाले लोग अपनी पहचान पर गर्व करते हैं और इसकी खुशी मनाते हुए प्राइड परेड निकालत है. इसलिए जून के महीने को प्राइड मंथ के तौर पर भी मनाया जाता है. आज गूगल ने अपना डूडल इसी खास मौके को समर्पित किया है. गूगल ने अपने डूडल में LGBTQ+ समुदाय के लोगों की प्राइड परेड का पिछले 50 साल का सफर दिखाया है. इस डूडल में दिखाया गया है कि 1969 से हर 10 साल के बाद प्राइड परेड में किस तरह के बदलाव आए.
दरअसल इस साल LGBTQ+ के 50 साल पूरे हो गए हैं ऐसे में गूगल ने इसी अपने डूडल में परेड के 50 साल के सफर को दिखाया है.
एक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद LGBTQ+ समुदाय के लोगों को दुनिया में पहचान मिली है. पिछले साल भारत में भी समलैंगिकता को स्वीकार कर लिया गया हालांकि अब भी कई देशों में अपराध ही माना जाता है.
वैसे LGBTQ+ समुदाय को मान्यता दिलाने की लड़ाई सबसे पहले अमेरिका से 1950 में शुरू हुई. इसके 10 साल बाद यानी 1960 में इसका असर दिखने लगा और बदलाव दिखने लगे. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी थे जो इन बदलावों का विरोध करते थे. ऐसे में सभी समलैंगिक और ट्रांसजेंडर प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए, और इस तरह ये पहली परेड बन गई.
प्राइड परेड LGBTQ+ समुदाय के लिए एक जश्न की तरह होती है जिसे ये लोग बड़े धूमधाम से नाच गाकर मनाते हैं. इस मौके पर न्यूयॉर्क शहर में क्रिस्टोफर स्ट्रीट पर प्राइड परेड का खास आयोजन किया जाता है जिसमें LGBTQ+ समुदाय के लोग बड़ी मात्रा में हिस्सा लेते हैं. इसके अलावा भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में भी प्राइड परेड का आयोजन होता है. वैसे इस प्राइव परेड को और भी कई नामों से जाना जाता है जैसे प्राइड, प्राइड वॉक, प्राइड मार्च, गे परेड, गे वाक, समलैंगिक और ट्रांसजेंडरों का जुलूस.
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