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बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़े आदित्य को अमेरिका में मिली 2.30 करोड़ की जॉब, यहां करेगा काम

सिद्धांत ने अपनी प्लस टू की पढ़ाई कटिहार के स्कॉटिश पब्लिक स्कूल से पूरी की, जिसके बाद उन्होंने आईआईटी में प्रवेश लिया. उन्होंने गुवाहाटी आईआईटी से बीटेक किया.

Updated on: 08 Feb 2019, 11:30 AM

नई दिल्ली:

बिहार के पूर्णिया के रहने वाले 22 साल के आदित्य सिद्धांत को विश्व की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल ने 2.30 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज के साथ जॉब दे दी है. गूगल ने सिद्धांत को अमेरिका के कैलिफॉर्निया में स्थित हेडक्वार्टर में नियुक्त किया है. बता दें कि इससे पहले सिद्धांत को माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और अमेजन जैसी विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों ने भी जॉब ऑफर किया था, लेकिन सिद्धांत ने अपने दिल की सुनी और 4 फरवरी को गूगल जॉइन कर लिया. सिद्धांत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भवानीपुर के सरकारी स्कूल से प्राप्त की है. सिद्धांत के पिता नंदकिशोर साह खगड़िया में एडीएम पद पर कार्यरत हैं. जबकि आदित्य की मां शशि रेखा भागलपुर विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान की स्नातकोत्तर टॉपर रह चुकी हैं. आदित्य का परिवार मूल रूप से बिहार के कटिहार के रहने वाले हैं.

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सिद्धांत ने अपनी प्लस टू की पढ़ाई कटिहार के स्कॉटिश पब्लिक स्कूल से पूरी की, जिसके बाद उन्होंने आईआईटी में प्रवेश लिया. उन्होंने गुवाहाटी आईआईटी से बीटेक किया. सिद्धांत ने गुवाहाटी आईआईटी से बीटेक करने के बाद कार्नेजी मेलॉन यूनिवर्सिटी (सीएमयू) पिट्सबर्ग में मास्टर्स की पढ़ाई की थी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2013 में आईआईटी की मुख्य परीक्षा में सिद्धांत की तबियत काफी बिगड़ गई थी. लेकिन सपनों पर काम करने वाले सिद्धांत ने जीवन की उड़ान को जारी रखा और परीक्षा में शामिल हुए. उन्होंने फिजिक्स में 120 में 120 अंक किए और अपना डंका बजा दिया.

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एजुकेशन की दुनिया में आदित्य सिद्धांत को कई पुरस्कार दिए जा चुके हैं. सिद्धांत को उनके जबरदस्त दिमाग की वजह से अमेरिका एक्सप्रेस एनालाइज अवार्ड से सम्मानित किया गया. जबकि इससे पहले ही आदित्य को साल 2017 में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने रिसर्च अवार्ड से सम्मानित किया था. एक हिंदी वेबसाइट से बातचीत के दौरान सिद्धांत ने बताया कि वह कंप्यूटर साइंस की दुनिया में भारत का नाम रोशन करना चाहता था. गूगल हेडक्वार्टर में काम करना सिद्धांत का बचपन का सपना था, जो अब जाकर पूरा हो गया है. बेटे की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पिता बेहद खुश हैं. हालांकि वे अपने बेटे को एक IAS अधिकारी बनाना चाहते थे.