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'सोनू के टीटू की स्वीटी' मूवी रिव्यू: रोमांस Vs ब्रोमांस के बीच कॉमेडी का तड़का, लेकिन ताजेपन की कमी

'प्यार का पंचनामा' फेम डायरेक्टर लव रंजन एक बार फिर लव और दोस्ती का डोज लेकर तैयार हैं।

Updated on: 24 Feb 2018, 10:37 AM

मुंबई:

'प्यार का पंचनामा' फेम डायरेक्टर लव रंजन एक बार फिर लव और दोस्ती का डोज लेकर तैयार हैं। 'सोनू के टीटू की स्वीटी..' वैसे तो फिल्म का नाम ही लोगों के लिए टंग ट्विस्टर की तरह है, ठीक वैसे ही कहानी में भी कई ट्विस्ट हैं। ब्रोमांस और रोमांस के बीच बुनी कहानी में कॉमेडी का तड़का तो है, लेकिन ताजेपन की कमी-सी है।

कहानी

फिल्म की कहानी शुरू होती है सोनू (कार्तिक आर्यन) और टीटू (सनी सिंह) के ड्रामे से। दरअसल टीटू अपनी गर्लफ्रेंड की हरकतों से दुखी होता है, लेकिन तभी सोनू आता है और तमाम दलीलें देकर ब्रेकअप करवा देता है। दोनों दो जिस्म और एक जान हैं। सभी को लगता है कि सोनू और टीटू भाई हैं, लेकिन वह बहुत अच्छे दोस्त होते हैं।

सोनू की मां बचपन में ही गुजर जाती हैं और पापा कनाडा शिफ्ट हो जाते हैं। ऐसे में वह टीटू की मां को अपनी मां और फैमिली को अपनी फैमिली मानकर उनके घर में रहने लगता है। सब कुछ सही चल रहा होता है, लेकिन फिर एंट्री होती है एक तूफान की, जिसका नाम है- स्वीटी (नुसरत भरुचा)। इसके बाद शुरू होती है दिलचस्प स्टोरी..।

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एक्टिंग

कार्तिक आर्यन ने अपनी शानदार एक्टिंग से एक बार फिर दर्शकों का दिल जीत लिया है। नुसरत ने भी स्वीटी का किरदार बखूबी निभाया है। सनी ने भी ठीक-ठीक एक्टिंग की है, लेकिन असली मजा आपको 'संस्कारी बाबूजी' यानी आलोकनाथ और वीरेंद्र सक्सेना को देखकर मिलेगा। हर कैरेक्टर की कॉमिक टाइम बेस्ट है, जो आपको खूब पसंद आएगी।

म्यूजिक

फिल्म का म्यूजिक काफी अच्छा है। पार्टी में डांस करना हो या फिर दोस्त के रूठने पर दिल का दर्द बयां करना हो.. फिल्म में गानों की टाइमिंग भी एकदम सही है। हनी सिंह का गाया गाना पहले ही हिट हो चुका है। 'छोटे-छोटे पैग', 'दिल चोरी साडा' और 'बम डिगी बम' लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है।

कमजोर कड़ियां

- अगर आप 'प्यार का पंचनामा' देख चुके हैं और यह उम्मीद रख रहे हैं कि इस बार कुछ नया देखने को मिलेगा तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। 'सोनू के टीटू की स्वीटी' ठीक वैसे ही है, जैसे नई पैकिंग में पुराना गिफ्ट।
- लव रंजन अपनी फिल्मों में नुसरत भरुचा को कुछ नया करने को नहीं दे पाए हैं। तीनों ही फिल्मों में औरतों को लेकर पुरानी सोच से वो बाहर नहीं निकल पाए।
- फिल्म की स्टारकास्ट के साथ निर्देशक भी खुद को रिपीट कर रहा है। कुछ सीन्स में आपको 'प्यार का पंचनामा' सीरीज की याद आ जाएगी।
- एक और बात आपको खटकेगी कि पूरी मूवी में स्वीटी को बुरा दिखाया गया है, लेकिन ऐसा क्यों? आखिर में भी नहीं पता चलता कि वो बुरी है क्यों?

क्यों देखें फिल्म

2018 की शुरुआत से ही सीरियस फिल्में रिलीज हो रही हैं। अगर आप इश्यू बेस्ड फिल्मों से बोर हो गए हैं तो 'सोनू के टीटू की स्वीटी' देखना अच्छा ऑप्शन है। आपको कॉमेडी का तड़का तो जरूर मिलेगा। कई सीन्स पर आपकी हंसी नहीं रुकेगी। आखिर में लड़की की जीत हुई या दोस्ती की.. ये पता करने के लिए भी तो मूवी देखने जाना पड़ेगा। 

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