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लोकसभा में ऐसे तय होता है कि कौन संसद कहां बैठेगा, जानिए क्‍या है फॉर्मूला

17वीं लोकसभा के लिए जनता ने अपने प्रतिनिधि चुन लिए हैं. जल्‍द ही लोकसभा का गठन होगा और नए सदस्‍य शपथ लेंगे.

Updated on: 26 May 2019, 06:38 AM

नई दिल्‍ली:

17वीं लोकसभा के लिए जनता ने अपने प्रतिनिधियों को चुन लिया है. जल्‍द ही लोकसभा का गठन होगा और नए सदस्‍य शपथ लेंगे. संसद के तीन अंगों राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा में लोकसभा को निचला सदन कहा जाता है. लोकसभा को 'House of the People' भी कहा जाता है. संसद की पूरी प्रणाली संसदीय नियम के मुताबिक चलती है. अक्‍सर टीवी पर हम देखते हैं कि लोकसभा में बहस के दौरान विभिन्न दलों के सभी सांसद लाइन से बैठे रहते हैं. लोकसभा के इन सदस्यों के बैठने के भी नियम होते हैं कि कौन कहां बैठेगा. इसके लिए एक फार्मूला तय है. इस फार्मूले से पहले आइए जानें कुछ जरूरी तथ्‍य...

  • भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सांसदों की संख्या अधिकतम 552 तक हो सकती है जिनमें से 530 सदस्य अलग-अलग राज्यों से होते हैं.
  • 20 सदस्य तक भारत के केंद्र शासित प्रदेशों से हो सकते हैं इसके अलावा 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित निर्धारित की गई है. वर्तमान में सदन की संख्या 545 है.
  • लोकसभा चैम्बर में सीटों की संख्या 550 है. सीटों को 6 ब्लॉक में बांटा गया है. प्रत्येक ब्लॉक में 11 पंक्तियां हैं.
  • स्पीकर के दायीं ओर (सीधी ओर) ब्लॉक नंबर 1 और बायीं ओर (उल्टे ओर) जो पंक्तियां हैं उनमें 97-97 सीटें हैं और बाकी के बचे 4 बलॉक्स में 89-89 सीटें हैं. 1 सीट लोकसभा के प्रत्येक सदस्य और मंत्री को दी जाती है.

यह है बैठने की व्‍यवस्‍था
स्पीकर की दायीं ओर की कुर्सियों पर सत्तारूढ़ दल के सदस्य बैठते हैं. बायीं ओर विपक्ष के सदस्य बैठते हैं. लोकसभा का उप-सभापति बायीं ओर पहली पंक्ति वाली सीट पर बैठता है. सभापति के सबसे आगे एक टेबल पर लोकसभा सचिवालय के अधिकारी बैठते हैं जो दिन भर की कार्यवाही के दौरान सब कुछ रिकॉर्ड करते हैं."Rules of Procedure and Conduct of Business" के नियम 4 के मुताबिक लोकसभा स्पीकर तय करता है कि कौन कहां बैठेगा. स्पीकर किसी भी पार्टी की लोकसभा में सीटों के आधार उनके बैठने की जगह तय कर सकते हैं.

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ऐसे बांटी जाती हैं सीटें

  • जिस पार्टी के पास 5 या उससे ज्यादा सीटें हैं उनके लिए निम्न फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बांटा जाता है.
  • पार्टी या गठबंधन के पास सीटों की संख्या को उस पंक्ति में कुल सीटों की संख्या से गुणा करेंगे. फिर जो भी संख्या आएगी उन्हें लोकसभा सीटों की कुल संख्या से भाग दे देंगे.
  • जिस पार्टी के पास 5 या उससे ज्यादा सीटें हैं उनके लिए निम्न फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाता है

हर पंक्ति में पार्टी के लिए सीटों की संख्या= पार्टी या गठबंधन के पास सीटों की संख्या X उस पंक्ति में कुल सीटों की संख्या

यदि हम सबसे आगे की पंक्ति (front row) में बीजेपी के लिए आवंटित सीटों की संख्या निकालना चाहें तो..

मान लीजिये कि लोक सभा में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 353 सदस्य हैं और सभी ब्लॉक्स में फ्रंट सीटों की संख्या 20 है तो NDA सदस्यों के लिए फ्रंट सीटों की संख्या होगी;

= 353 x 20/ 550 =12.83

अतः पहली पंक्ति में मौजूद 20 सीटों में से 13 सीटों पर NDA के सदस्य बैठेंगे.

इसी फ़ॉर्मूले के आधार पर कांग्रेस को उसके 52 सदस्यों में से कुछ को पहली पंक्ति में सीटें आवंटित की जायेगीं. अर्थात कांग्रेस को पहली पंक्ति में (52 x 20 /550 =1.89) दो सीटें आवंटित की जाएंगी.

बची हुई सीटों के बंटवारा ऐसे होता है?

ऊपर दिया गया फार्मूला ही अन्य पंक्ति की सीटों के आवंटन के लिए अपनाया जाता है. इस प्रकार जब फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा हो जाता है तो सम्बंधित राजनीतिक पार्टी या गठबंधन समूह को इस बारे में बताया जाता है. अब सम्बंधित पार्टी, स्पीकर को बताती है कि उसका कौन सा सदस्य किस जगह पर बैठेगा. इस प्रकार लोक सभा स्पीकर की अनुमति के बाद सदस्य को सीट मिल जाती है.

जिन पार्टियों के 5 से कम सदस्य होते हैं

जिन पार्टियों के पास 5 से कम सदस्य होते हैं या जो इंडिपेंडेंट होते हैं उनके लिए सीटों का आवंटन लोकसभा स्पीकर अपने विवेकाधिकार के आधार पर करता है. कभी-कभी लोक सभा स्पीकर इसका फैसला किसी सदस्य की वरिष्ठता और सामाजिक सम्मान के आधार पर भी करता है. जैसे आपने देखा होगा कि मायावती, मुलायम सिंह और देवेगौडा को फ्रंट सीट दी जाती है जबकि उनकी पार्टी के पास इतनी सदस्य संख्या नहीं होती है कि उन्हें फ्रंट सीट दी जा सके.

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तो इस प्रकार अब आपको यह पता चल गया होगा कि लोक सभा में कौन सदस्य किस सीट पर बैठेगा. जो फॉर्मूला ऊपर दिया गया है उसी के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाता है. बता दें, लोकसभा स्पीकर की अनुमति के बाद ही सीटें दी जाती है. वहीं आपको बता दें. जिन पार्टी के पास 5 से कम सदस्य होते हैं लोकसभा स्पीकर उनके लिए सीटों का बंटवारा अपनी इच्छा के अनुसार कर सकता है. स्पीकर किसी सदस्य की वरिष्ठता और सामाजिक सम्मान को देखते हुए संसद के किसी सदस्य को फ्रंट सीट उपलब्ध करवा सकता है.