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ट्रंप के फैसले पर चीन के पलटवार से ट्रेड वार की औपचारिक शुरुआत, क्या संभल पाएगा बाजार !

डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ जवाबी पलटवार में चीन की तरफ से अमेरिकी सामानों पर अतिरिक्त 25 फीसदी का टैक्स लगाए जाने की घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच औपचारिक रूप से ट्रेड वार की शुरुआत हो गई है।

Updated on: 05 Apr 2018, 08:48 AM

highlights

  • बीजिंग की तरफ से अमेरिकी गुड्स पर लगाए जाने वाले अतिरिक्त टैरिफ से ट्रेड वार का औपचारिक आगाज
  • अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के औपचारिक आगाज से सेसेंक्स और निफ्टी ने गंवाई बढ़त

नई दिल्ली:

डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ जवाबी पलटवार में चीन की तरफ से अमेरिकी सामानों पर अतिरिक्त 25 फीसदी का टैक्स लगाए जाने की घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच औपचारिक रूप से ट्रेड वार का आगाज हो गया है।

दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच शुरू हुई इस जंग का असर एशियाई बाजारों पर दिखने लगा है और आने वाले दिनों में भी इससे बाजार की चाल के प्रभावित होने की आशंका जोर पकड़ रही है।

अमेरिकी सामानों पर अतिरिक्त कर लगाने के फैसले का असर एशिया के शेयर बाजारों पर दिखा और बुधवार को 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 351.56 अंकों की तेज गिरावट के साथ 33,109.07 पर बंद हुआ।

वहीं 50 शेयरों वाला निफ्टी भी 116.60 अंकों की गिरावट के साथ 10,128.40 पर बंद हुआ। ट्रंप के फैसले के खिलाफ चीन ने अमेरिका के 106 उत्पादों पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स लगाया है।

वैश्विक नहीं घेरलू फैक्टर देंगे सपोर्ट

हालांकि इस बीच बाजार को घरेलू कारणों का सहारा मिल सकता है। लेकिन शॉर्ट टर्म में ग्लोबल फैक्टर भारतीय शेयर बाजार के लिए ठीक नहीं रहेंगे।

मसलन फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका भारतीय बाजार से संस्थागत विदेशी निवेशक (एफपीआई) को निकलने से नहीं रोक पा रही है। 

आंकड़ों के मुताबिक घरेलू शेयर बाजार में एफपीआई का निवेश 2017-18 में आधे से भी कम 26,000 करोड़ रुपये रह गया है।

वहीं कई विश्लेषकों को लगता है कि भारतीय बाजार का मौजूदा स्तर काफी महंगा और ऐसे में यह विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक निवेश का ठिकाना नहीं रह गया है। हालांकि इसे लेकर एकमत नहीं है।

विश्लेषकों के एक अन्य समूह का मानना है कि निवेश के लिहाज से अभी भी भारतीय शेयर बाजार अन्य बाजारों के मुकाबले ज्यादा आकर्षक है।

इसके साथ ही वित्त वर्ष 2018 के पहले मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक को लेकर भी निवेशकों का रुख सतर्कता भरा रहा है।

माना जा रहा है कि मंहगाई को ध्यान में रखते हुए आरबीआई इस वित्त वर्ष की पहली बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।

मेटल शेयरों की पिटाई से फिसला सेंसेक्स

दोनों देशों के बीच नए सिरे से ट्रेड वार छिड़ने की आशंका के कारण मेटल, कंज्यूमर ड्यूरेबल और कैपिटल गुड्स में जबरदस्त बिकवाली आई, जिसकी चपेट में शेयर बाजार में अपने पूरे दिन की बढ़त गंवा दी।

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 19 इंडेक्स में केवल ऑटो इंडेक्स ही हरे निशान में बंद हुआ, जबकि मेटल (2.75 फीसदी), कंज्यूमर ड्यूरेबल (2.55 फीसदी), कैपिटल गुड्स (1.95 फीसदी) और बैंकिंग (1.63 फीसदी) की गिरावट के साथ बंद हुए।

सबसे ज्यादा नुकसान टाटा स्टील, वेदांता लिमिटेड, यस बैंक, एलएंडटी के शेयरों में हुआ। वहीं टाटा मोटर्स के शेयर करीब 3.5 फीसदी की उछाल के साथ बंद हुआ।

वैश्विक कारणों से घरेलू बाजार ने गंवाई बढ़त

नए वित्त वर्ष में शेयर बाजार की शुरुआत अच्छी रही है लेकिन चीन और अमेरिकी के बीच जारी इस जंग की औपचारिक शुरुआत ने इस पूरी बढ़त को एक झटके में खत्म कर दिया।

गौरतलब है कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप बीते माह आपत्तियों के बावजूद स्टील के आयात पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम उत्पादों पर 10 प्रतिशत कर लगा दिया था।

इसके साथ ही चीन से आयात होने वाले सामानों पर अमेरिका ने 60 अरब डॉलर का टैरिफ लगाए जाने की घोषणा कर दी, जिसके जवाब में चीन ने पलटवार करने की धमकी दी थी।

अमेरिका के इस कदम से चीन के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचा, जो बड़े पैमाने पर अमेरिका को स्‍टील और एल्‍युमीनि‍यम उत्‍पादों का निर्यात करता है।

चीन के साथ ही भारतीय स्टील कंपनियों को भी इस फैसले से नुकसान उठाना पड़ सकता है। आज बाजार में आई गिरावट की वजह मेटल कंपनियों में हुआ जबरदस्त नुकसान रहा, जो इस ट्रेड वार के कारण प्रभावित हो सकती हैं।

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