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ऑनलाइन शॉपिंग पर अब भारी डिस्काउंट के अच्छे दिन खत्म, सरकार ने लागू किया नया नियम

अब ऑनलाइन शॉपिंग के अच्छे दिन खत्म होने वाले हैं. दरअसल मोदी सरकार ने ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर बेहद कड़ा फैसला लिया है.

Updated on: 27 Dec 2018, 11:53 AM

नई दिल्ली:

अगर आप भी ऑनलाइन शॉपिंग के लिए दिवाली, दशहरे, क्रिसमस और नए साल जैसे बड़े मौके का इंतजार करते हैं ताकि इन दिनों फ्लिपकार्ट, एमेजॉन, स्नैपडील समेत तमाम ई शॉपिंग वेबसाइट पर भारी भरकम छूट और ऑफर का फायदा उठा सकें तो यह आपके लिए बुरी खबर है. अब ऑनलाइन शॉपिंग के अच्छे दिन खत्म होने वाले हैं. दरअसल मोदी सरकार ने ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर बेहद कड़ा फैसला लिया है. मोदी सरकार के नए नियम के मुताबिक एमेजॉन और अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट की स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट जैसी शॉपिंग वेबसाइट ऐसे उत्पाद अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं बेच सकती जिस उत्पाद को बनाने वाली कंपनी में उनकी अपनी हिस्सेदारी है. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक यह नया नियम एक फरवरी से सभी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों पर लागू होगा.

सरकार के बयान के मुताबिक, 'कोई भी ऐसी कंपनी जिसमें ई कॉमर्स कंपनी या उस समूह की दूसरी कंपनी की हिस्सेदारी है या फिर नियंत्रण है उसे ई कॉमर्स के प्लेटफॉर्म पर उसका उत्पाद बेचने की इजाजत नहीं होगी. इसे आप आसान तौर पर ऐसे समझ सकते हैं कि किसी खास कंपनी के किसी खास मोबाइल फोन को सिर्फ एक ही ई कॉमर्स कंपनी की वेबसाइट पर अब नहीं बेचा जा सकेगा.'

क्या भारी डिस्काउंट के इस खेल पर लाना पड़ा नया नियम

दरअसल ई कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को अपनी तरफ लुभाने के लिए और बिक्री को बढ़ाने के लिए खास मौके पर भारी छूट देती है. इसके लिए ई कॉमर्स कंपनियां अपनी होलसेल इकाईयों या समूह की दूसरी कंपनियां के उत्पाद की बढ़े पामाने पर खरीददारी करती है. फिर ये कंपनियां अपने ग्राहकों को सीधे तौर पर प्रोडक्ट बेच सकती है. चूंकि उत्पादों के दाम बाजार भाव से कम होते हैं इसलिए ई कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को भारी छूट देकर भी मुनाफा कमा लेती है. दूसरी बात यह है कि जो कंपनिया सीधे तौर पर ई कॉमर्स कंपनी को अपना माल बेचती है वो कंपनियां या तो इनकी साझेदारी होती हैं या फिर किसी खास उत्पाद को लेकर उनका समझौता होता है.

मोबाइल फोन के क्षेत्र में यह बड़े पैमाने पर होता है जब आप देखते हैं कि कोई खास मोबाइल फोन सिर्फ किसी एक ही ई कॉमर्स कंपनी के जरिए बेचा जाता है. वो मोबाइल फोन उस वक्त खुले बाजार में भी इसी वजह से उपलब्ध नहीं कराया जाता ताकि उसकी कीमत को कम से कम रखकर और बड़ी संख्या में बेचकर मुनाफा कमाया जा सके.

सरकार को क्यों लेना पड़ा यह फैसला

केंद सरकार को यह फैसला इसलिए करना पड़ा क्योंकि बीते कई सालों से भारतीय रिटेलरों और कारोबारियों की शिकायत थी कि बड़ी ई कॉमर्स कंपनियां अपनी सहयोगी कंपनियों पर नियंत्रण रखती है या फिर उनसे सेल्स एग्रीमेंट कर लेती हैं जिसका उन्हें बाजार में नाजायज फायदा मिलता है और ग्राहकों को काफी कम दामों में उत्पाद बेच देती है जिससे उन्हें सीधा नुकसान होता है.

बुधवार को सरकार ने जो नया फैसला लिया है उसके मुताबिक ग्राहकों को ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त कैशबैक का जो अतिरिक्त फायदा मिलता है वो इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि उत्पाद ऑनलाइन साइट की सहयोगी कंपनी का है या नहीं है. सरकार के इस फैसले से देश के छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है.