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शिवसेना ने पीएम से पूछा, रावण की लंका में हुआ, राम की अयोध्या में कब होगा

शिवसेना ने श्रीलंका सीरियल ब्लास्ट के बाद भारत में नए नियम बनाने की मांग की है.

Updated on: 01 May 2019, 11:25 AM

नई दिल्ली:

शिवसेना ने श्रीलंका सीरियल ब्लास्ट के बाद भारत में नए नियम बनाने की मांग की है. शिवसेना ने बुधवार को धर्म विशेष की महिलाओं द्वारा बुर्का के उपयोग पर प्रतिबंध की मांग की है. शिवसेना ने श्रीलंकाई में ईस्टर संडे पर आतंकवादी हमलों के बाद वहां की सरकार द्वारा भी ऐसा ही नियम लाने की योजना बनाए जाने का हवाला दिया है. हमलों में 250 लोगों की मौत हो गई थी.

इस पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शिवसेना द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर कहा, बुर्का पहनने वाली सभी महिलाएं आतंकवादी नहीं हैं. अगर वे आतंकवादी हैं तो उनका बुर्का हटा दिया जाना चाहिए. यह एक परंपरा है और उन्हें इसे पहनने का अधिकार है. भारत में बुर्का पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.

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बता दें कि पार्टी ने अपने मुखपत्रों 'सामना' और 'दोपहर का सामना' के संपादकीय में कहा, इस प्रतिबंध की अनुशंसा आपातकालीन उपाय के तौर पर की गई है, जिससे सुरक्षा बलों को किसी को पहचानने में परेशानी ना हो. नकाब या बुर्का पहने हुए लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को कहा गया था कि श्रीलंकाई सरकार मौलानाओं से विचार-विमर्श कर इसे लागू करने की योजना बना रही है और इस मामले पर कई मंत्रियों ने मैत्रिपाला सिरिसेना से बात की है.

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सरकार ने कहा है कि श्रीलंका में 1990 के शुरुआती दशक तक खाड़ी युद्ध से पहले मुस्लिम महिलाओं में नकाब या बुर्का का कोई चलन नहीं था. खाड़ी युद्ध में चरमपंथी तत्वों ने मुस्लिम महिलाओं के लिए यह परिधान बताया. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कोलंबो के निकट डेमाटागोडा में कई महिला आत्मघाती हमलावर भी बुर्का पहन कर भाग गई थीं. वहां तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.

संपादकीय में प्रधानमंत्री मोदी से सवाल: रावण की लंका में हुआ, राम की अयोध्या में कब होगा शीर्षक के साथ लिखा गया है. इसमें लिखा गया है- लिट्टे के आतंक से मुक्त हुआ यह देश अब इस्लामी आतंकवाद की बलि चढ़ा है. हिंदुस्तान, विशेषकर इसका जम्मू-कश्मीर प्रांत उसी इस्लामी आतंकवाद से त्रस्त है. सवाल इतना नही है कि श्रीलंका, फ्रांस, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसे देश जिस तरह सख्त कदम उठाते हैं, उसे तरह के कदम हम कब उठाने वाले हैं?