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महाराष्ट्र: पुलिस ने कहा फेक न्यूज़ को रोकने लिए तथ्यों की जांच करें

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गुरुवार को जिला प्रशासन और पुलिस ने फेक न्यूज़ से कैसा बचा जाए नाम से एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को फेक न्यूज़ के विषय में जागरूक करना था।

Updated on: 03 Aug 2018, 08:06 AM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गुरुवार को जिला प्रशासन और पुलिस ने फेक न्यूज़ से कैसा बचा जाए नाम से एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को फेक न्यूज़ के विषय में जागरूक करना था।

कार्यशाला के दौरान पुलिस आयुक्त ने अधिकारियों को फेक नयूज़ के बारे में जागरुक करते हुए कहा कि, 'किसी भी तरह का कंटेंट शेयर करने से पहले उसके सही होने की जांच कर लें, विशेष तौर पर सोशल नेटवर्किंग साइट वॉट्सऐप और फेसबुक पर। जो सही है केवल वही शेयर करें।'

बता दें कि इसी साल जुलाई में महाराष्ट्र के धुले में मोब लिंचिंग की बड़ी वारदात सामने आई थी। जिसमें धुले के रैनपाड़ा गांव में भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी. इन लोगों पर बच्चा चोर होने का आरोप लगाया गया था। इस तरह की घटनाएं बीते दिनों में फेक न्यूज़ के फैलने से बढ़ी हैं।

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ऐसी ही घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही हैं। इन सभी घटनाओं में कुछ बातें समान हैं। जैसे फेक न्यूज़ को फैलाया जाना, तथ्यों के आभाव में भीड़ को भड़काऊ मैसेज से हिंसक भीड़ में बदल देना। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग साइट पर फेक न्यूज़ को फैलने से रोकने और लोगों एंव अधिकारियों को जागरूक करने से इस तरह की घटनाओं को होने से रोका जा सकता है। 

गौरतलब है कि बीते दिनों वॉट्सऐप ने भी अपना नया फीचर लॉन्च कर दिया है, जिसके बाद लोग केवल 5 लोगों को ही मैसेज फॉरवर्ड कर पाएंगे। जितनी घटनाएं हुई हैं, उनमें से ज्यादातर वॉट्सएप से फैली अफवाहों की वजह से हुई हैं। यही वजह है कि वॉट्सऐप ने आगे बढ़कर इस तरह के कंटेट को पब्लिश करने पर रोक लगाते हुए कई कदम उठाए हैं। अब एप्लिकेशन पर फॉरवर्ड किए जाने वाले मैसेज की संख्या घटकर पांच कर दी गई है और क्या मैसेज भेजे जा रहे हैं, इस पर नजर रखने के लिए भी बदलाव किए गए हैं।

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