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बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे को मिली केवल सात सीटें, क्या खत्म होने लगा है जलवा?

बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे को जनता ने बिल्कुल नकार दिया। इस बार न ही 'मी मराठा' का नारा चल पाया और न ही 'महाराष्ट्रीयन बनाम बाहरी।'

Updated on: 24 Feb 2017, 11:09 AM

highlights

  • बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस की करारी हार
  • बीएमसी की 227 में से 203 सीटों पर लड़ी थी चुनाव, 7 सीटों पर मिली जीत
  • लगातार गिर रहा है एमएनएस का ग्राफ, विधानसभा चुनाव में भी रहा था खराब प्रदर्शन

नई दिल्ली:

'जो भी ऑटो रिक्शा गैर मराठी चला रहे है उनके ऑटो में आग लगा दो', 'जिसकी दुकान में मराठी में लिखा नहीं दिखेगा उसकी दुकान तोड़ दी जाएगी', 'ओवैसी एक बार महाराष्‍ट्र में आ जाएं तो उनके गले पर चाकू रख दूंगा', 'मुंबई में बढ़ती भीड़ की वजह गैर-मराठी लोग हैं', ये वो चंद बयान हैं जो राज ठाकरे को उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) से भी बड़ा बनाता है। महाराष्ट्र में राज ठाकरे को बड़ा नेता माना जाता है।

लेकिन इस बार के बृहनमुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव में राज ठाकरे को जनता ने बिल्कुल नकार दिया। इस बार न ही 'मी मराठा' का नारा चल पाया और न ही 'महाराष्ट्रीयन बनाम बाहरी।'

यह पहला चुनाव परिणाम नहीं है जो राज ठाकरे को पतन की ओर ले गया। इससे पहले 2014 लोकसभा चुनाव और 2015 विधानसभा चुनाव में भी राज ठाकरे की पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। जनता ने उनके एग्रेसिव अंदाज और हिंदुत्व के एजेंडे को नकार दिया। यही नहीं राज ठाकरे के साथ कोई पार्टी भी गठबंधन नहीं करना चाहती है।

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बीएमसी चुनाव से पहले राज ठाकरे ने शिवसेना से गठबंधन के रास्ते तलाशे थे लेकिन चचरे भाई और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ इनकार कर दिया। खबर थी की चुनाव से पहले राज ठाकरे ने खुद आगे बढ़कर शिवसेना से गठबंधन की पहल की और इसके लिए शिवेसना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को सात बार फोन किया लेकिन कुछ जवाब नहीं मिला।

राज ठाकरे बीजेपी से भी गठबंधन की जुगत में थे लेकिन बीजेपी ने भी कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया।

बीएमसी चुनाव में बीजेपी की स्थिति

बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे 227 में से 203 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन वह महज 7 सीटों पर सिमट गई। पिछले चुनाव के मुकाबले एमएनएस को चौगुना नुकसान हुआ है। एमएनएस को 2012 के चुनावों में 28 सीटें मिली थी।

विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस

2009 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस ने 288 में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2014 पार्टी का ग्राफ गिरा और मात्र एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी। 2014 में एमएनएस की 203 सीटों पर जमानत जब्त हो गई।

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लगातार मिल रही हार की वजह से एमएनएस के सामने अस्तित्व का संकट आ गया है। उन्हें जनता लगातार नकार रही है। दरअसल लोग किसी भी उग्र नेता का ज्यादा दिनों तक समर्थन नहीं करती। जो राज ठाकरे अपना 'यूएसपी' मानते हैं।

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

मार्च 2006 में बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग 'महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना' के नाम से नई पार्टी बनाई थी। वह अपने चचेरे भाई के पार्टी में बढ़ते कद से नाराज थे। 2006 के बाद उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में अलग छवि बनाई लेकिन जैसे-जैसे पार्टी पुरानी हुई वैसे-वैसे जनता के बीच राज ठाकरे की पकड़ कमजोर होती गई।

बाल ठाकरे के जीवित रहते राज ठाकरे को नंबर 2 की पोजिशन पर माना जाता था और कहा भी जाता था कि राज ठाकरे की राजनीतिक कुशलता उद्धव से बेहतर है। शिवसेना से अलग होने के बाद भी ऐसा लग रहा था कि राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में जगह बनाएंगे। लेकिन ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा है। चुनाव परिणामों साफ होता जा रहा है कि उद्धव की राजनीतिक कुशलता राज ठाकरे से बेहतर सिद्ध हुई है।