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महाराष्ट्र में क्या बीजेपी को मिलेगा पवार का पावर? शिवसेना ने पकड़ी अलग राह

बीजेपी-शिवसेना का 25 साल पुराना नाता टूटने के बाद खबर है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार बीजेपी की राज्य में मदद कर सकते हैं।

Updated on: 27 Jan 2017, 12:48 PM

highlights

  • शिवसेना ने निकाय चुनाव के लिए बीजेपी से गठबंधन तोड़ा
  • पवार को पद्म विभूषण दिये जाने के बाद एनसीपी-बीजेपी गठबंधन की लगाई जा रही हैं अटकलें
  • फड़णवीस ने कहा,...परिवर्तन तो होगा जो आयेगा उसके साथ जो नहीं आयेगा उसके बगैर

नई दिल्ली:

एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति मराठा क्षपत्र शरद पवार के ईर्द-गिर्द घूम रही है। बीजेपी-शिवसेना का 25 साल पुराना नाता टूटने के बाद खबर है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार बीजेपी की राज्य में मदद कर सकते हैं। इस खबर को मजबूती इसलिए भी मिलती है क्योंकि पिछले दिनों बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने शरद पवार को पद्म विभूषण से सम्मानित करने का फैसला किया है।

कई राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया यूजर्स ने केंद्र के इस फैसले पर आश्चर्य जताया था। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान एनसीपी को 'नेचुरली करप्ट पार्टी' करार दिया था। अब जब शिवसेना ने बीजेपी से अलग होने का फैसला किया है तो ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि एनसीपी देवेंद्र फड़णनवीस सरकार को मदद कर सकती है। हालांकि शिवसेना ने कहा है कि वह सरकार की कुछ दिनों तक मदद करती रहेगी।

गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'अगर आप मुझे वचन दोगे तो मैं अभी आपको मेरा फैसला बता रहा हूं, इसके आगे शिवसेना अकेली महाराष्ट्र में लडेगी। गठबंधन के लिये मैं किसी के भी आगे कटोरा ले कर खडा नही रहूंगा। इसके आगे जो भी रहेगा वो मेरा और मेरे शिवसेना का रहेगा। किसी से भी भीख नही मागूंगा।' उन्होंने कहा था, 'पार्टी ने गठबंधन में रहकर 25 साल बरबाद कर दिए हैं।'

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निकाय चुनाव में सीटों को लेकर फंसा था पेंच
बीजेपी ने निकाय चुनाव में 50-50 फॉर्मुले के तहत आधी सीटों की मांग की थी। इसे उद्धव ठाकरे ने बिना हैसियत रखा प्रस्ताव करार देते हुए शिवसेना का अपमान करार दिया था। 21 फरवरी को 227 सीटों वाली मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) में वोट डाले जाएंगे। इसी के साथ अन्य 9 महानगरपालिका और 25 जिला परिषद के चुनाव भी महाराष्ट्र में हो रहे हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना की रैली के बाद ट्वीट कर कहा, 'सत्ता साध्य है। साधन नहीं। परिवर्तन तो होगा। जो आयेगा उसके साथ जो नहीं आयेगा उसके बगैर।'

आपको बता दें की शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अलग होकर चुनाव लड़ी थी हालांकि चुनाव के बाद फिर से बीजेपी के साथ आ गई थी। फिलहाल महाराष्ट्र के अलावा केंद्र में भी बीजेपी का सहयोग कर रही है।

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महाराष्ट्र में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं इनमें बीजेपी के पास 122, शिवसेना के पास 63 कांग्रेस के पास 42, एनसीपी के पास 41 और 20 सीटें अन्य के पास हैं। अगर शिवसेना अपना समर्थन वापस ले लेती है तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी। ऐसे में अगर एनसीपी बीजेपी को समर्थन दे तो सरकार को कोई कठिनाई नहीं होगी।

बयानबाजी शुरू
महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री रामदास कदम ने कहा, 'हम अपने जेब में त्याग पत्र लेकर घूम रहे हैं। उद्धव जी कहेंगे तो हम इस्तीफा दे देंगे।'

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शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा, 'हम महाराष्ट्र को अस्थिर नहीं बनाना चाहते हैं। इसलिए हमें कुछ समय के लिए राज्य सरकार में गठबंधन रखना पड़ेगा।'

वहीं कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर निशाना साधा है। संजय निरुपम ने कहा, 'अगर शिवसेना में हिम्मत है तो वह राज्य और केंद्र से अपना समर्थन वापस ले। नहीं तो यह सिर्फ बयानबाजी है।'