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कोणार्क के सूर्य मंदिर के समान है ग्‍वालियर का यह टेंपल, भक्‍तों की पूरी होती है हर मुराद

सूर्य देव एकमात्र एक ऐसे देवता हैं जिनके साक्षात दर्शन कर भक्त उन तक अपनी फरियाद पहुंचाते हैं. वह अपने प्रभाव से समपूर्ण जगत को संचालित करते हैं, साथ ही भक्तों के जीवन में खुशियों का उजियारा भी फैलाते हैं.

Updated on: 21 Oct 2018, 01:28 PM

ग्‍वालियर:

सूर्य देव एकमात्र एक ऐसे देवता हैं जिनके साक्षात दर्शन कर भक्त उन तक अपनी फरियाद पहुंचाते हैं. वह अपने प्रभाव से समपूर्ण जगत को संचालित करते हैं, साथ ही भक्तों के जीवन में खुशियों का उजियारा भी फैलाते हैं.  भक्तों के जीवन को रौशन करने वाले भगवान सूर्य का एक ऐसा ही चमत्कारी धाम बसा है ग्वालियर में, जो दुनियाभर में सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण बसंत बिड़ला ने 1988 में करवाया था. यह मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमुना है.

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भगवान सूर्य के रथ की तरह है मंदिर का आकार 

वैसे तो कोणार्क का सूर्य मंदिर पूरी दूनिया में प्रसिद्ध है लेकिन ग्‍वालियर का नया बना यह मंदिर बहुत कम समय में भक्‍तों को अपनी और आकर्षित किया है. इस मंदिर को उडीसा के कोणार्क के सूर्य मंदिर की तर्ज़ पर बनाया गया है. मंदिर का आकार भगवान सूर्य के रथ की तरह है. मंदिर को एक बड़े चबूतरे के ऊपर बीच में 24 चक्रों और सात घोड़ों से खींचे जाने वाले रथ के रूप में बनाया गया है.

वास्तुकला शैली कोणार्क के सूर्य मंदिर के समान

इसके निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है. मंदिर की वास्तुकला शैली कोणार्क के सूर्य मंदिर के समान है. मंदिर का आंतरिक भाग संगमरमर से बना है जबकि बाहरी भाग पर हिंदू देवी देवताओं के चित्रों को उकेरा गया है. कहा जाता है कि पूरे मंदिर में बीजली का कोई साधन नहीं है. मंदिर परिसर में शांति की अनुभूति होती है. मंदिर में बना सुंदर उद्यान मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है.

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मंदिर में विराजमान सूर्य भगवान की प्रतिमा बेहद ही खूबसूरत है.पद्मासन में बैठे सूर्य भगवान का विशेष रूप से श्रृंगार किया गया है. कुंडल, एकावली,  हार पहने सूर्य भगवान की प्रतिमा को और भी खूबसूरत बनाती है.मान्यता है कि सूर्य उदय होने पर सूर्य की किरणें सबसे पहले मंदिर में विराजमान सूर्य प्रतिमा पर पड़ती हैं. इससे मंदिर के साथ सूर्य भगवान की प्रतिमा भी रौशन हो जाती है. भगवान सूर्य को पूर्व में पर्वत के समान और पश्चिम में अग्र के समान बताया गया है.

 मंदिर के मुख्य हॉल में तीन गेट हैं और इन पर चार चार स्तंभ हैं. सभी स्तंभों पर नवग्रहों की मूर्तियां बनाई गई हैं और हर गेट पर गणेश जी विराजमान है.यह मंदिर भक्तों केलिए आस्था का केंद्र तो है ही पर यह पर्यटकों को भी अपनी तरफ आकर्षित किया है.