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मध्यप्रदेश: प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव वोटिंग से कराने को कहा

52 साल बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का आज चुनाव होगा, 24 मार्च 1967 को आखिरी बार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ था.

Updated on: 08 Jan 2019, 12:27 PM

भोपाल:

52 साल पहले 24 मार्च 1967 को आखिरी बार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ था.  उपाध्यक्ष पद के लिए भी चार बार चुनाव हो चुके हैं. इस बीच आसंदी से प्रोटेम स्पीकर ने किया नाम विधानसभा अध्‍यक्ष के लिए एमपी प्रजापति के नाम का ऐलान कर दिया. इसको लेकर विधानसभा में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया और सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्‍थगित कर दी गई. कांग्रेस की और से एनपी प्रजापति उम्मीदवार होंगे, बीजेपीने 7 बार विधायक विजय शाह को अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारा है. वहीं संसदीय मंत्री गोविंद सिंह ने विपक्ष की मांग को गैर कानूनी बताते हुए कहा कि गुप्त मतदान नहीं होगा . संविधान में सभी के सामने मतदान होता है . मंत्री गोविंद सिंह ने BJP पर विधायकों को ख़रीद फ़रोख़्त का आरोप लगाया है.

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मध्य प्रदेश के इतिहास में ये तीसरा मौका है जब विधानसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव हो रहा है. सबसे पहले 27 मार्च 1962 को विधानसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ था. उस समय कुंजीलाल दुबे के सामने रामेश्वर अग्निभोज चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव में कुंजीलाल दुबे को सफलता मिली. उन्हें जहां 187 वोट मिले वहीं अग्निभओज को महज 91 वोट मिले. वहीं दूसरी बार 24 मार्च 1967 को प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ. इस बार काशी प्रसाद पांडे को जीत मिली थी. इस लिहाज से देखें तो आज का दिन बी ऐतिहासिक है. इस बार मुकाबला कांग्रेस के एनपी प्रजापति और बीजेपी के विजय शाह के बीच में है. प्रजापति चौथी बार विधायक बनें हैं जबकि विजय शाह सातवीं बार एमएलए बने हैं. कुल मिलाकर कहें तो 52 साल बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष के लिए ये चुनाव हो रहा है.

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मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सदन में कांग्रेस को घेरने के लिए आखिरकार अपना दांव चला दिया है. बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का फैसला किया है और पार्टी के सीनियर विधायक और पूर्व मंत्री विजय शाह विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार होंगे. बीजेपी के विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव लड़ने से विधानसभा सत्र में अब कांग्रेस के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं. मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने सीनियर विधायक एनपी प्रजापति को अपना उम्मीदवार बनाया है.

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बीजेपी की ओर से अध्यक्ष पद के लिए विजय शाह के लिए चुनाव लड़ने से अब सदन में फ्लोर टेस्ट का रास्ता साफ होगा. अध्यक्ष पद के लिए होने वाली वोटिंग के लिए कांग्रेस के सामने अपने सहयोगी दलों को एकजुट रखना चुनौतीपूर्ण होगा. सदन का मौजूदा सियासी गणित अभी कांग्रेस के पक्ष में है. अगर बात करें सदन के मौजूदा सियासी समीकरणों की तो कांग्रेस के खुद के 114 विधायक सदन में हैं. सपा से एक, बसपा के दो और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सदन में सरकार के पक्ष में कुल विधायकों की संख्या 121 है. बीजेपी 109 विधायकों के साथ विधानसभा में विपक्ष में मौजूद है. 

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बीजेपी के इस दांव के बाद अब सबकी नजर मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव पर टिक गई है. अब देखना होगा कि विधानसभा में फ्लोर पर कांग्रेस बीजेपी को मात देकर अपना अध्यक्ष चुन लेती है या मध्यप्रदेश विधानसभा में फिर कोई इतिहास बनता हुआ दिखाई देगा.