जानें मध्य प्रदेश में कमलनाथ की 'प्रशासनिक सर्जरी' का क्या है छिंदवाड़ा मॉडल
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद यह जिला प्रशासनिक सर्जरी का भी मॉडल बन रहा है छिंदवाड़ा
भोपाल:
मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने विकास के छिंदवाड़ा मॉडल को आधार बनाकर लड़ा, साथ ही दावा किया कि राज्य के हर जिले का छिंदवाड़ा की तर्ज पर विकास किया जाएगा. छिंदवाड़ा जहां एक ओर विकास के मॉडल के तौर पर प्रचारित किया गया तो अब कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद यह जिला प्रशासनिक सर्जरी का भी मॉडल बन रहा है. यहां 'सारे बदल डालो' की तर्ज पर बदलाव का अभियान जारी है. राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में 12 दिसंबर को कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया और बतौर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 17 दिसंबर को शपथ ली. उसके बाद राज्य में बदलाव का दौर शुरूहुआ, इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में नजर आ रहा है. यहां के पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को बदल दिया गया.
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राज्य की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच मानती है कि जब सरकार बदलती है तो अपने लक्ष्य को हासिल करने और योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचाने के मकसद से अपनी पसंद के अफसरों की तैनाती करती है. कोशिश तो अच्छी टीम बनाने की होती है. साथ ही अपने लोगों तक संदेश भी बदलाव के जरिए दिया जाता है.
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कांग्रेस के सत्ता में आए एक माह का वक्त गुजर चुका है, सबसे ज्यादा अगर कहीं बदलाव नजर आ रहा है तो वह है छिंदवाड़ा. सबसे ज्यादा चर्चा चुनाव के दौरान छिंदवाड़ा की हुई जब हर तरफ विकास मॉडल के तौर पर छिंदवाड़ा को प्रचारित किया गया, इतना ही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ ने भी छिंदवाड़ा के प्रचार की कोशिश की.एक तरफ छिंदवाड़ा मॉडल चर्चाओं में रहा, अब छिंदवाड़ा प्रशासनिक सर्जरी को लेकर सुर्खियों में है, क्योंकि प्रमुख पदों के बाद अब तो थानेदार तक बदले जा रहे हैं. यहां के नौ थानेदारों को एक झटके में हटाकर पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है.
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भाजपा की प्रदेश इकाई के महामंत्री वी.डी. शर्मा का कहना है कि कांग्रेस सत्ता में आई है, उसे रुटीन के आधार पर बदलाव करना चाहिए और इसका उसे अधिकार भी है, मगर वैमनस्यता को आधार नहीं बनाना चाहिए. वर्तमान में कमलनाथ सरकार संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को धमकाकर इस्तीफा देने के लिए विवश कर रही है, यह स्थिति राज्य के लिए ठीक नहीं है.
छिंदवाड़ा ससंदीय क्षेत्र से नौ बार से कमलनाथ सांसद हैं और अब इसी संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले हैं. मुख्यमंत्री बनने के छह माह के भीतर किसी भी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर उन्हें विधायक बनना जरूरी है. इसके लिए एक नहीं, कई विधायक अपनी सीट छोड़ने को तैयार बैठे हैं. लगातार जारी बदलाव को कमलनाथ के विधानसभा चुनाव लड़ने से जोड़कर भी देखा जा रहा है.
प्रशासनिक हलकों में प्रदेश के साथ छिंदवाड़ा में हो रहे सबसे ज्यादा बदलाव की चर्चा है. वहां पूर्व से तैनात अधिकारी अपने को सहज महसूस नहीं कर रहा है और उसे इस बात की आशंका बनी हुई है कि आने वाले दिनों में उसे भी तबादले की जद में आना पड़ सकता है. इस तरह विकास का मॉडल छिंदवाड़ा अब प्रशासनिक सर्जरी का मॉडल बनता जा रहा है.
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