ग्वालियर के महापौर की कुर्सी पर बैठने के लिए तैयार नहीं हो रहा कोई भी पार्षद या नेता, वजह जानिए
किसी भी नगर निगम में महापौर एक ऐसा पद होता है जिसके लिए बड़े-बड़े नेता भी हमेशा तैयार रहते हैं.
नई दिल्ली:
किसी भी नगर निगम में महापौर एक ऐसा पद होता है जिसके लिए बड़े-बड़े नेता भी हमेशा तैयार रहते हैं. लेकिन इन दिनों ग्वालियर का महापौर बनने के लिए कोई नजर नहीं आ रहा. क्योंकि बीजेपी के महापौर विवेक शेजवलकर ने सांसद बनने के बाद इस्तीफा दे दिया है और अब कांटो भरा ताज कोई पहनना नहीं चाहता. बावजूद इसके मेयर के पद पर दोनों ही दलों में से कोई पार्षद या नेता बैठने से पहले तमाम तरह के गुणा भाग लगा रहा है. क्योंकि नगर निगम का चुनाव होने में महज 6 महीने बचे हैं और लगभग 4 महीने तक ही कोई महापौर काम कर सकता है. ऐसे में आचार संहिता के चलते कामों की स्वीकृति नहीं मिलेगी. अब भला 4 महीने में कोई महापौर शहर की कायापलट कैसे कर सकता है, जबकि यही 4 महीने जनता की नाराजगी झेलने वाले हैं.
यह भी पढ़ें- किसानों से गेहूं की बंपर खरीदारी कर मुसीबत में फंस गई कमलनाथ सरकार, जानें कैसे
जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने गर्मी और बारिश वाले महीने होते हैं. इन दिनों शहर के कई इलाकों में पानी ना आने और गंदा पानी की शिकायत जनता पहले से ही कर रही है. अभी समस्या और भी बड़ी खड़ी होने वाली है. बिजली कटौती से पहले से ही चल रही है. मॉनसून आने से पहले नगर निगम ने ना तो नालों की सफाई की और ना ही बारिश का पानी संरक्षित करने के कोई उपाय किए. ऐसे में जो भी महापौर के पद पर बैठेगा उसे इन सारी मुश्किलों को झेलना पड़ेगा. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनका वरिष्ठ नेतृत्व तय करेगा महापौर कौन बनेगा लेकिन समस्या इतनी है जिन्हें सुलझा पाना बहुत मुश्किल है.
ग्वालियर नगर निगम के इतिहास में आज तक कांग्रेस का महापौर नहीं बना और एक तरह से यह शहर बीजेपी का गढ़ माना जाता है. नगर निगम में पार्षदों की संख्या 66 है जिसमें कांग्रेस के महज 10 है और बीजेपी के 49 पार्षद है, जबकि एक निर्दलीय है. ऐसे में कांग्रेस की सोच रही है कि जब साड़े 4 साल तक बीजेपी का महापौर रहा है तो बाकी के 6 महीने भी वही सरकार चलाएं. जबकि बीजेपी मान रही है कि अब प्रदेश में सत्ता बदल गई है तो कांग्रेस के पास मौका है और अपना महापौर बना सकती है.
यह भी पढ़ें- कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष चुनना आसान नहीं, सामने ये है बड़ी चुनौती
दोनों ही पार्टियों की बात करें तो एक दूसरे के पाले में गेंद फेंकने की बात कर रहे हैं. सवाल यह नहीं है कि महापौर कोई नहीं बनना चाहता, सवाल यह है कि 5 साल के लिए ग्वालियर नगर निगम कोई छोड़ना नहीं चाहता. कांग्रेस का आरोप है कि दशकों से बीजेपी ने ग्वालियर में सत्ता चलाई, लेकिन जनता मुश्किलों से जूझती रही. ऐसे में अब यदि कांग्रेस अपना महापौर बनाएगी तो अगले चुनाव में कांग्रेस को भी जवाब देना पड़ सकता है. कांग्रेस अब पूरा ठीकरा बीजेपी के सिर पर ही फोड़ना चाहती है.
यह वीडियो देखें-
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह