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लोकसभा चुनाव: छिंदवाड़ा सीट से चुनावी पारी की शुरुआत कर सकते है CM कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ

छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का बीते 40 साल से कमलनाथ अथवा उनके परिवार का सदस्य प्रतिनिधित्व करता आ रहा हैं. कमलनाथ मुख्यमंत्री बनने से पहले नौ बार इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं.

Updated on: 22 Mar 2019, 10:26 AM

छिंदवाड़ा:

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के संभावित उम्मीदवार नकुलनाथ जींस और शर्ट पहनते हैं, वे स्वयं कह चुके हैं कि जिस दिन वे कुर्ता-पायजामा पहनें, समझो प्रत्याशी घोषित हो गए. अब कांग्रेस के उम्मीदवारों के नामों के ऐलान होने का वक्त करीब है, लिहाजा इस बात की संभावना है कि नकुलनाथ जल्दी ही कुर्ता-पायजामा पहने नजर आने लगेंगे. छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का बीते 40 साल से कमलनाथ या उनके परिवार का सदस्य प्रतिनिधित्व करता आ रहा हैं. कमलनाथ मुख्यमंत्री बनने से पहले नौ बार इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ को विधानसभा चुनाव लड़ना है, इसके लिए छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक दीपक सक्सेना इस्तीफा दे चुके हैं.

कमलनाथ ने 16 मार्च को छिंदवाड़ा में आयोजित एक कार्यक्रम में नकुलनाथ को जिम्मेदारी सौंपने का जिक्र करते हुए लोगों से कहा था, 'आगे आने वाले चुनाव में आप लोग कांग्रेस, मेरा साथ देंगे, मैंने तो 40 साल आपकी सेवा कर ली. अपनी जवानी समर्पित कर दी छिंदवाड़ा के लिए, अब यह बोझ अपने पुत्र नकुलनाथ को दे रहा हूं. मैं तो हूं, इनसे (नकुलनाथ) अपना काम कराइएगा, मैं तो पीछे रहूंगा ही, मगर इनको भी आपको सिखाना है. इनको भी मौका देना है ताकि हम विकास का नया इतिहास बनाएं.'

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विभिन्न कंपनियों के संचालक मंडल के निदेशक और 21 जून 1974 को जन्मे नकुलनाथ की स्कूली शिक्षा देहरादून के दून स्कूल में हुई. उन्होंने बोस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की है. नकुलनाथ ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है मगर बीते 20 सालों से वे छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हैं.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सैयद जाफर बताते हैं कि नकुलनाथ बीते 20 साल से ज्यादा समय से छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे स्थानीय लोगों के बीच रहते हैं और चुनाव के समय भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं. लिहाजा वे लोगों के लिए अपने हैं. संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ता से लेकर हर व्यक्ति चाहता है कि नकुलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ें.

जाफर ने आगे बताया, 'नकुलनाथ दिल से बोलते हैं. अपने पिता की तरह सीधा संवाद करते हैं वे उन्हीं की तरह सहज हैं, हर किसी की मदद करते हैं जिसके कारण लोगों को नकुलनाथ में अब कमल नाथ की छवि दिखने लगी है.'

छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक पद से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस नेता दीपक सक्सेना ने पिछले दिनों ही नकुलनाथ के छिंदवाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार होने का ऐलान कर दिया था. तब नकुलनाथ ने कहा था, 'दीपक भाई और गंगा भाई ने प्रत्याशी के रूप में मेरा नाम घोषित कर दिया है लेकिन, जिस रोज मुझे जींस और शर्ट में नहीं देखना, कुर्ता-पायजामा में देखना उस दिन समझ लेना मैं आपका प्रत्याशी हूं.'

नकुलनाथ ने कुर्ता-पायजामा को उम्मीदवारी का संकेत बताया था, अभी तक तो वे जींस और शर्ट ही पहन रहे हैं, वह वक्त बहुत करीब आ गया है, जब नकुलनाथ कुर्ता-पायजामा में नजर आएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव की तरीखों का ऐलान होने के बाद कांग्रेस के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान जल्द ही संभव है.

महाकौशल क्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषक विजय तिवारी का कहना है, 'छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में कमलनाथ का प्रभाव नकारा नहीं जा सकता. यही कारण है कि छिंदवाड़ा के सभी सातों क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवार जीते हैं. वहीं नकुलनाथ सहज और सुलभ हैं, इसलिए लोकसभा चुनाव उनके लिए बड़ी चुनौती नहीं होगी. नकुलनाथ जब भी छिंदवाड़ा आते हैं तो लोगों से सीधा संवाद करते हैं, और सभी की समस्याओं का समाधान करते हैं. कमलनाथ और नकुलनाथ क्षेत्रीय लोगों के लिए बड़े नेता नहीं हैं.'

नकुलनाथ छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में पहली बार वर्ष 1996 के चुनाव में तब सक्रिय हुए थे जब उनकी मां अलका नाथ ने चुनाव लड़ा था. तब कमलनाथ हवालाकांड के चलते चुनाव नहीं लड़ पाए थे. नकुलनाथ ने यहां बने भव्य हनुमान मंदिर के निर्माण में भी अहम् भूमिका निभाई थी. नुकलनाथ की पहल पर ही छिंदवाड़ा के दो विधानसभा क्षेत्रों से युवाओं को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया था. छिंदवाड़ा से सभी सातों सीटों पर कांग्रेस जीती.

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कमलनाथ और फिल्म अभिनेता सलमान खान के करीबी रिश्ते हैं, इसी के चलते वर्ष 2009 के चुनाव में सलमान खान प्रचार करने छिंदवाड़ा आए थे और उन्होंने सात सभाएं की थीं.

नकुलनाथ की पहचान शांत और कम बोलने वाले नेता की है. कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करने के साथ एक-एक समस्या को जानकर उसका निदान करना उनकी खूबी है. चुनाव के दौरान उनका ज्यादातर वक्त छिंदवाड़ा में ही बीतता है. विधानसभा चुनाव के बाद वे लगातार छिंदवाड़ा में ही हैं.