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इंदौर की गोल्ड वुमेन शांतनु की कहानी सुनकर रह जाएंगें दंग, आप भी कहेंगे-बेटी हो तो ऐसी

इंदौर की एक महिला ने ना सिर्फ शहर बल्कि देश का नाम विदेशों में रोशन किया है.

Updated on: 21 Dec 2018, 04:18 PM

इंदौर:

इंदौर की एक महिला ने ना सिर्फ शहर बल्कि देश का नाम विदेशों में रोशन किया है. इस महिला ने पावरलिफ्टिंग में मंगोलिया में 4 से 8 दिसंबर के बीच आयोजित टूर्नामेंट में 18 देशों के प्रतिभागियों को हराकर देश के लिए गोल्ड हासिल किया है. दरअसल गोल्ड हासिल करने वाली साधारण महिला की एक असाधारण कहानी है. जिसने महज 2 साल में करीब 13 गोल्ड हासिल किए हैं. जिसके कारण अब लोग उन्हें गोल्ड वुमेन के नाम से पहचानने लगे हैं.

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दरअसल यह दास्तान इंदौर के अंबिकापुरी इलाके से शुरू होती है. यहां रहने वाली शांतनु शर्मा जो की मूलतः ग्वालियर की रहने वाली थी, लेकिन शादी के बाद अपने पति प्रदीप शर्मा के साथ इंदौर के अंबिकापुर में रहने लगी. व्यवसाय पति के कामकाज में हाथ बैठाने वाली शांतनु शर्मा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह देश के लिए गोल्ड लेकर आएंगी. पेशे से आर्किटेक्ट इंजीनियरिंग करने वाली शांतनु शर्मा 2016 में खुद को स्लिम करने के लिहाज से जिम पहुंची, लेकिन जिम में जब उन्होंने पावर लिफट करते हुए कोच ने देखा तो उनकी आंख फटी रह गई. कोच उसी समय समझ गए कि यह महिला देश के लिए गोल्ड लेकर आएगी .फिर क्या था उन्होंने शांतनु को एक सही मार्गदर्शन दिया उसके बाद शांतनु पावरलिफ्टिंग के लिए तैयार होने लगी. महज 2 साल में शांतनु ने 13 से ज्यादा गोल्ड हासिल किए. जिसमें प्रदेश देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड शामिल है. विदेश में देश का राष्ट्रगान बजना शांतनु अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताती हैं.

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दरअसल शांतनु की दास्तां बड़ी अजीब है उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह आज गोल्ड वूमेन के तौर पर पहचानी जाएंगी. क्योंकि वह तो 2 साल पहले वजन कम करने के लिए जिम गई थी, लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. शांतनु के 2 साल के सफर में कई उतार-चढ़ाव आए जिसे उन्होंने न्यूज़ नेशन की टीम से साझा किया. 

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उधर शांतनु ने अपनी कामयाबी के साथ ही अपनी बेटी पूर्वी को भी तैयार करना शुरू कर दिया है. शांतनु की मेहनत का नतीजा है कि आज पूर्वी नेशनल तक पावर लिफ्टिंग कर गोल्ड ला चुकी है . दरअसल शांतनु और पूर्वी की मानें तो उनके परिवार का सहयोग था इसलिए आज वह इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं पूर्वी की भी मंशा उसकी मां की तरह देश के लिए गोल्ड लाना है. ताकि विदेशों में एक बार फिर भारत का नेशनल एंथम राष्ट्रगान गूंजे .

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इंदौर की गोल्डमैन की दास्तां जो भी सुनता है वह हैरत में पड़ जाता है क्योंकि प्रतिभाएं काबिलियत छुपाए नहीं छुपती.ऐसे ही कुछ शांतनु के साथ हुआ जिसने महज 2 साल में 13 से ज्यादा गोल्ड जीतकर खुद को गोली वुमन के मुकाम तक पहुंचा दिया .आज शांतनु शर्मा दुनिया के सामने गोल्ड वुमेन के तौर पर एक मिसाल बन कर खड़ी है.