मध्य प्रदेश : पिछले चुनाव की तरह क्या इस बार भी चलेगी शिवराज की आंधी?
मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की लहर में कांग्रेस के मजबूत किले भी ढह गए थे. भाजपा को जहां 22 सीटों का लाभ हुआ, वहीं कांग्रेस 13 सीटें पीछे रह गई. अब सवाल यह है कि क्या इस बार भी शिवराज की उसी तरह आंधी चलेगी. इस बार उनके सामने तमाम चुनौतियां हैं.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की लहर में कांग्रेस के मजबूत किले भी ढह गए थे. भाजपा को जहां 22 सीटों का लाभ हुआ, वहीं कांग्रेस 13 सीटें पीछे रह गई. अब सवाल यह है कि क्या इस बार भी शिवराज की उसी तरह आंधी चलेगी. इस बार उनके सामने तमाम चुनौतियां हैं.
प्रदेश में बीजेपी ने न केवल अपनी सीटें बढ़ाईं, बल्कि वोट प्रतिशत में भी अच्छा खासा इज़ाफ़ा किया था. बीजेपी का वोट प्रतिशत करीब दस फीसदी तक बढ़ा था. हालांकि कांग्रेस का भी वोट प्रतिशत बढ़ा था, फिर भी उसे सीटों का भारी नुकसान हुआ. कुल 230 सीटों में से भाजपा को 165, कांग्रेस के 58 बसपा के चार और अन्य के हिस्से में तीन सीटें आईं थीं.
कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के प्रभाव क्षेत्रों में पार्टी ने बहुत खराब प्रदर्शन किया था. दिग्विजय सिंह के प्रभाव वाले जिले राजगढ़ की पांच में से चार सीटों पर भाजपा सफल रही.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल संभाग में पार्टी को करीब एक-तिहाई सीटें जिता पाए. यहां 34 सीटों में से कांग्रेस को महज 12 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को इस क्षेत्र से बड़ा भरोसा था.
कमलनाथ का किला कहे जाने वाले महाकौशल में सेंध लग गई. वहां बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 13 सीटें मिलीं. तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के संसदीय क्षेत्र झाबुआ में तो कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी.
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