logo-image

9 बार के सांसद कमलनाथ कैसे बन गए थे इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे

मध्यप्रदेश में कमल नाथ ही होंगे अगले मुख्यमंत्री. प्रदेश कांग्रेस कमिटी के दफ़्तर में विधायक दल की बैठक के दौरान सीएम के नाम की घोषणा की गई.

Updated on: 14 Dec 2018, 09:35 AM

नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश में कमल नाथ ही होंगे अगले मुख्यमंत्री. प्रदेश कांग्रेस कमिटी के दफ़्तर में विधायक दल की बैठक के दौरान सीएम के नाम की घोषणा की गई. इस दौरान कमल नाथ के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया, पर्यवेक्षक एके एंटनी व प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया भी मौजूद थे. इससे पहले गुरुवार को राहुल गांधी के दिल्ली स्थित आवास पर लगभग 4-5 घंटे की बैठक हुई. बैठक के बाद ही मुख्यमंत्री पद के लिए कमल नाथ के नाम पर मुहर लग गई थी.

कौन है कमलनाथ?

कांग्रेस नेता कमल नाथ का जन्म 18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज कलकत्ता से बीकॅाम की पढ़ाई पूरी की थी. कमलनाथ ने 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार मे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली.

2009 में 15वीं लोकसभा के लिए चुने गए, फिर कैबिनेट मंत्री बने. जिसके बाद उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. साल 2011 में उन्हें शहरी विकास मंत्री बनाया गया और 2012 में संसदीय कार्य मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई. दिसंबर 2012 में उन्हें योजना आयोग का सदस्य भी बनाया गया.

कमलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद बने थे और वो 9 बार छिंदवाड़ा से सांसद रहे हैं. साल 1997 में उन्हें एक बार हार मिली फिर उन्होंने कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा. साल 2001 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे.

और पढ़ें: मध्य प्रदेश में कमलनाथ CM पद के लिए क्यों है प्रबल दावेदार, जानें छिंदवाड़ा मॅाडल की कहानी

बता दें कि मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ गांधी परिवार के काफी क़रीबी माने जाते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थी. इतना ही नहीं मध्यप्रदेश चुनाव में लगातार तीन बार की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को हराकर कांग्रेस की वापसी करवाने में अहम भूमिका मानी जा रही है. इसके अलावा कमलनाथ कांग्रेस का पुराना चेहरा हैं. वो इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान बतौर केंद्रीय मंत्री भी काम कर चुके हैं.

छिंदवाड़ा के लंबे समय से सांसद और पार्टी के रणनीतिकार कमल नाथ नेतृत्व और रणनीति के कारण ही कांग्रेस का मध्य प्रदेश में 15 साल का वनवास खत्म हो पाया है. इसी कारण वो एमपी के सीएम पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार थे.