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Madhya Pradesh Election: CM शिवराज सिंह चौहान के गढ़ में अरुण यादव पर क्‍यों भड़की Public

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से इस वक्त जो सीट सबसे ज्यादा सुर्खियों में है वो सीट है बुधनी की VVIP सीट.

Updated on: 23 Nov 2018, 08:04 AM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से इस वक्त जो सीट सबसे ज्यादा सुर्खियों में है वो सीट है बुधनी की VVIP सीट. ये सीट न सिर्फ सीएम शिवराज की परंपरागत सीट है बल्कि इस बार यहां से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ताल ठोंक रहे हैं.अरुण यादव और उनकी कांग्रेस का दावा है कि बुधनी में इस बार सीएम शिवराज मुश्किल में है. खुद बुधनी की समस्याओं का जिक्र करते हुए अरुण यादव
ने सोशल मीडिया में लगातार कैंपेन छेड़ा हुआ है.

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सोशल मीडिया में अरुण यादव लगातार कई ऐसी तस्वीरें पोस्‍ट कर रहे हैं जिनमें बुधनी को बदहाल दिखाने की पुरजोर कोशिश है, लेकिन सोशल मीडिया की आभासी दुनिया के बाहर जब अरुण यादव बुधनी के बरखेड़ा गांव के लोगों के बीच पहुंचे तो उनका सामना एक ऐसी वास्तविकता से हुए जिनका अंदाजा शायद यादव को रहा भी होगा. 

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लोग अरुण यादव से सवाल करने लगे कि उन्हें वोट क्यों दें. लोगों के सवालों पर अरुण यादव को जवाब देते नहीं बना. अभी तो सोशल मीडिया का बुलबुला बुधनी की धरती पर फूटा ही था कि थोड़ी देर में अरुण यादव के लिए स्थिति और असहज हो गई जब लोगों ने उनकी मौजूदगी में सीएम शिवराज के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए. बुधनी में एक तरफ पूर्व उपमुख्यमंत्री के बेटे अरुण यादव हैं तो दूसरी तरफ खुद को किसान पुत्र बताने वाले शिवराज. आइए देखें दोनों का सियासी सफर

कौन हैं अरुण यादव

  • अरुण यादव एमपी के पूर्व डिप्टी सीएम सुभाष यादव के बेटे हैं.
  • सुभाष यादव 1980 और 1985 में खरगोन से सांसद रहे.
  • 1993 में कसरावद से MLA बने और दिग्विजय मंत्रिमंडल में डिप्टी सीएम बनाए गए.
  • सुभाष यादव 25 सालों तक MP राज्य सहाकारी बैंक के अध्यक्ष रहे.
  • अरुण यादव 2007- 2009 14वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए.

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  • 2008- 2009 में संसद की लोक लेखा समिति के सदस्य रहे.
  • 2009- 2014 में 15 वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित.
  • 2009- 2011 में केंद्रीय राज्य मंत्री, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम.
  • 2014 में अरुण यादव खंडवा से लोकसभा चुनाव हार गए.
  • 13 जनवरी 2014 से 1 मई 2018 तक MP कांग्रेस अध्यक्ष रहे.
  • इस बार बुधनी से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

किसान पुत्र से सीएम बनने तक के शिवराज के सफर पर

  • शिवराज सिंह चौहान के पिता प्रेमसिंह चौहान किसानी करते थे.
  • शिवराज 1975 में मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्रसंघ अध्यक्ष बने.
  • इमरजेंसी के दौरान 1976-77 में भोपाल जेल में बंद किए गए.
  • 1977 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक बने.
  • 1977-78 में अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने.
  • 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे.

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  • 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने.
  • 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बने.
  • 1992 से 1994 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव रहे.
  • 1996 में 11 वीं लोक सभा में फिर से विदिशा से सांसद चुने गए.
  • 1998 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार सांसद चुने गए.

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  • 1999 में विदिशा से चौथी बार 13 वीं लोक सभा के लिये निर्वाचित हुए.
  • 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे.
  • 2004 में पांचवी बार विदिशा से 14वीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
  • 2005 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए.
  • 29 नवम्बर 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.