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सत्‍ता का सेमीफाइनल : क्‍या मन बना रही है संस्‍कारधानी जबलपुर की जनता

आम चुनावों से पहले के सबसे बड़े संग्राम में क्या है जनता का मूड... सियासी घमासान के बीच क्‍या चल रहा है लोगों के मन में... ये जानने के लिए न्यूज़ नेशन की टीम सियासी ग्राउंड ज़ीरो पर है.

Updated on: 17 Nov 2018, 09:18 AM

जबलपुर:

आम चुनावों से पहले के सबसे बड़े संग्राम में क्या है जनता का मूड... सियासी घमासान के बीच क्‍या चल रहा है लोगों के मन में... ये जानने के लिए न्यूज़ नेशन की टीम सियासी ग्राउंड ज़ीरो पर है. मध्यप्रदेश में सत्ता के सेमीफाइनल का मिजाज जानने निकली न्यूज नेशन की टीम सतना के बाद पहुंची संस्कारधानी जबलपुर. नर्मदा किनारे बसे जबलपुर की गिनती मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में होती है. यहां मध्य प्रदेश का हाईकोर्ट भी है. पौराणिक रूप से इस शहर को महर्षि जाबालि के नाम से जोड़ा जाता है. वहीं इतिहास के पन्नों को पलटे तो यहां 16वीं सदी में वीरांगना रानी दुर्गावती का शासन था, जिनकी वीरता के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर हैं. वहीं पर्यटन की नज़र से देखें तो जबलपुर के पास भेड़ाघाट जैसा पर्यटन स्थल है, जहां रोजाना हजारों सैलानी आते हैं. वहीं जबलपुर में मौजूद ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की गिनती देश के बड़े रक्षा संस्थानों में होती है.

राजनीति के लिहाज से 

वहीं जबलपुर के सियासी भूगोल की बात करें तो यहां विधानसभा की 8 सीटें है. 2013 के सियासी रण में यहां बीजेपी ने 6 सीटों पर परचम लहराया था, जबकि कांग्रेस को महज 2 सीटें मिली थी. पूरे मध्य प्रदेश के साथ ही जबलपुर में भी सियासी घमासान है. ऐसे में हमने भी सत्ता के सेमीफाइनल का सफर एक नुक्कड़ सभा से शुरू किया. यहां बीजेपी के मौजूदा विधायक अशोक रोहाणी लोगों को शिवराज सरकार की उपलब्धियां बता रहे थे. जबलपुर मे एक ओर बीजेपी अपना गढ़ बचाने में लगी हुई है तो दूसरी ओर कांग्रेस भी वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. जबलपुर का सियासी पारा कैसा है..ये जानने के लिए हम यहां के कई इलाकों में लोगों से बात करेंगे. इसी कड़ी में हमारा सफर भेड़ाघाट के लिए निकला. यहां पर झक सफेद दूधिया चट्टानों के बीच बहती नर्मदा नदी की खूबसूरती देखते ही बनती है. खूबसूरत चट्टानों का दीदार करने के लिए यहां देश-विदेश से रोजाना हजारों सैलानी आते हैं.

भारी तादाद में यहां सैलानियों के आने से यहां के हजारों लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है. नाव के जरिए सैलानियों को कुदरती खूबसूरती दिखाने वाले लोगों की जिंदगी में कितना उजाला है.  सत्ता के सेमीफाइनल के सफर में हमारा अगला पड़ाव बना भेड़ाघाट का एक स्कूल.

गांवों में कैसा है सियासी माहौल. लोकतंत्र के महापर्व के बारे में क्या सोचते है लोग. ये जानने के लिए हम बरगी इलाके एक गांव में पहुंचे. सियासी घमासान के बीच यहां लोगों के घरों में उज्ज्वला योजना की रोशनी देखने को मिली, लेकिन घर के लिए मिलने वाली मदद को लेकर लोगों के पास शिकायत का पुलिंदा था. सत्ता के सेमीफाइल के सफर में हम पहुंचे मदन महल इलाके में, जहां एक पत्थर पर बनाया गया किला जबलपुर की ऐतहासिक विरासत का जीता जागता नमूना है.

क्‍या सोचते हैं यहां के युवा 

संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर के बारे में यहां की युवा पीढ़ी क्या सोचती है. विकास की दौड़ में ये शहर आज किस मुकाम पर है. ये जानने के लिए हम पहुंचे यहां के जानकी रमण कॉलेज में. जबलपुर में लोगों की सेहत दुरुस्त रखने के लिए यूं तो कई सरकारी और निजी अस्पताल है, लेकिन मरीजों की सबसे ज्यादा तादाद यहां के जिला अस्पताल में देखने को मिलती है. सत्ता के सेमीफाइल में हमने जबलपुर में आम लोगों से लेकर कारोबारियों और सत्ता के दावेदारों से बात की. जनता का क्या होगा फैसला ये तो 11 दिसंबर को ईवीएम खुलने पर ही सामने आएगा.