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सत्‍ता का सेमी फाइनल: जानें क्‍या है सतना का सियासी भूगोल और विकास की दौड़ में कहां है यह जिला

देश में आम चुनावों से पहले के सबसे बड़े संग्राम में क्या है जनता का मूड. सियासी वार-पलटवार पर क्या है लोगों की राय. ये जानने के लिए पिछले एक महीने से न्यूज़ नेशन की टीम सियासी ग्राउंड ज़ीरो पर है.

Updated on: 15 Nov 2018, 03:37 PM

सतना:

देश के 5 राज्यों में सियासी घमासान है. लोकतंत्र के महापर्व में लोग अपनी सरकार चुनने जा रहे हैं. देश में आम चुनावों से पहले के सबसे बड़े संग्राम में क्या है जनता का मूड. सियासी वार-पलटवार पर क्या है लोगों की राय. ये जानने के लिए पिछले एक महीने से न्यूज़ नेशन की टीम सियासी ग्राउंड ज़ीरो पर है.छत्तीसगढ़ का सियासी हाल आप तक पहुंचाने के बाद अब हम मध्य प्रदेश की गलियों से आपको सियासी तूफान का रुझान बता रहे हैं. सत्ता के सेमीफाइनल का मिजाज जानने निकली न्यूज नेशन की टीम रीवा के बाद पहुंची सतना .

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सतना मध्य प्रदेश का बड़ा औद्यौगिक शहर है. इसकी पहचान सीमेंट सिटी के तौर पर होती है. मुंबई-हावड़ा रेल लाइन पर मौजूद इस शहर को विंध्य का द्वार कहा जाता है. इसके अलावा सतना का धार्मिक महत्व भी है. पौराणिक पहचान रखने वाला चित्रकूट का कामतानाथ मंदिर भी सतना जिले में ही आता है.जहां आम श्रद्धालुओं के साथ ही बड़ी-बड़ी सियासी हस्तियां भी हाजिरी लगाने जाती हैं. साथ ही मां शारदा की सिद्धपीठ मैहर भी सतना जिले में है. रीवा के नजदीक बना विश्व का पहला व्हाइट टाइगर सफारी भी सतना जिले में ही आता है.

सतना का सियासी भूगोल

सतना जिले के सियासी भूगोल की बात करें तो यहां विधानसभा की सात सीटें हैं. 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को 3-3 सीटें मिली थीं, जबकि बीएसपी को भी एक सीट पर कामयाबी मिली थी.एक वक्त था जब सतना आसपास के जिलों के लिए बिजनेस हब था लेकिन आज इस शहर की अहमियत कारोबार के नक्शे पर कमतर होती जा रही है और उसकी कई बड़ी वजहें भी हैं. वहीं सतना के सियासी समीकरण की बात करें तो अभी तक यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला रहा है.लेकिन इस बार बीएसपी भी मजबूती से मैदान में खड़ी नजर आ रही है.

विकास की जयगाथा के साथ बेरोजगारी की चिंता

सियासी घमासान के बीच हमने सत्ता के सेमीफाइनल के सफर की शुरुआत सतना शहर से की.यहां के अंबेडकर चौक के पास लोगों ने कई सालों से बन रही सड़क कैसे मुसीबत बन गई है. कभी बड़े औद्यौगिक शहर की पहचान रखने वाला सतना विकास की दौड़ में कहां है.ये जानने के लिए हमने सतना के निवासियों से बात की.यहां कुछ लोग बेरोजगारी की मार से जूझ रहे हैं तो कुछ लोगों की जुबान पर विकास की जयगाथा थी.

राम वनगमन पथ की जोरों से चर्चा

एमपी के मौजूदा सियासी घमासान में राम वनगमन पथ की जोरों से चर्चा हो रही है.राम वनगमन पथ वो रास्ता है जहां भगवान राम वनवास के वक्त चित्रकूट के जंगलों में चले थे. राम वनगमन पथ का मौजूदा हाल क्या है और लोगों की इस पर क्या राय है.ये जानने के लिए हम भी निकल पड़े भगवान कामतानाथ की नगरी चित्रकूट की तरफ. चित्रकूट के रास्ते पर हम सतना शहर से आगे बढ़ते हुए पहुंचे सतना बाईपास रोड पर.इस सड़क को देखकर आप इसकी हालत का अंदाजा लगा सकते हैं. 5 साल में सरकारें बदल जाया करती हैं लेकिन यहां तो इस सड़क की सूरत बदलने की आधी-अधूरी कवायद में ही 5 साल गुजर गए.

चित्रकूट का क्‍या है हाल

सियासत के बीच लोगों की सेहत को लेकर कितना फिक्रमंद है हमारा सिस्टम, इसकी नब्ज टटोलने के लिए हमारा अगला पड़ाव बना एक अस्पताल.अब हमारी मंजिल चित्रकूट थी.जंगली रास्तों से हम आगे बढ़ रहे थे लेकिन मंजिल तक पहुंचना इतना आसान नहीं था. बताया जाता है कि सतना से चित्रकूट जाने वाली ये सड़क पिछले दस साल से बन रही है. धूल के गुबार और गड्ढों के बीच से जाना लोगों की मजबूरी बन गया है. अब हम चित्रकूट विधानसभा में दाखिल हो चुके थे.जंगली इलाकों में हमारी नज़र ऐसी जगह पर गई जहां कुछ बच्चे एक गड्ढे से पानी निकाल रहे थे. हम मेन रोड से अंदर जंगली इलाके के एक गांव में पहुंचे. गांववालों की माने तो यहां शायद ही ऐसा कोई घर हो, जहां बीमारी ने जानलेवा कहर न ढाया हो.

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तकरीबन 4 घंटे के सफर के बाद आखिरकार हम चित्रकूट की धरती पर पहुंच गए. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक चित्रकूट भगवान राम की तपोस्थली रहा है. ये वो धरती है जहां त्रेता युग में भगवान राम ने वनवास के 12 साल बिताए थे.यहां आसपास के 25 किलोमीटर इलाके में भगवान राम से जुड़ी कहानियां और निशानियां मिलती हैं .सती अनुसुइया आश्रम, गुप्त गोदावरी, कामद गिरि, हनुमान धारा जैसी जगहें चित्रकूटधाम में आती हैं.इस दौरान राम जहां-जहां भी गए.उन रास्तों को राम वन गमन पथ का हिस्सा कहा जाता है और इसी रास्ते को विकसित करने के मुद्दे पर सियासी वार-पलटवार देखा जा रहा है.

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राम वनगमन पथ के विकास का यहां के साधु संत भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.साधु संतों के मुताबिक अगर ये रास्ता सही तरीके से विकसित हो जाता है तो चित्रकूट बड़ा धार्मिक पर्यटक स्थल बन जाएगाराम के धाम तक सियासत का शोर है और राम के नाम पर नया संग्राम है..लेकिन जनता आखिर किन मुद्दों पर करेगी फ़ैसला, ये तो 11 दिसंबर को ईवीएम मशीनों से निकले नतीजों से ही तय होगा।