MP Election Result final : हारकर भी जीत गए मामा शिवराज सिंह चौहान
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के रुझानों और नतीजों से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का दावा फेल हो गया.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के रुझानों (Trends) और नतीजों (election Result 2018) से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का दावा फेल हो गया. कांग्रेस ने बहेतर प्रदर्शन जरूर किया है पर उसका 140 सीट का सपना, सपना ही रह गया. कांग्रेस और तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना था कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की बुरी हार होने वाली है. सत्ता विरोधी लहर को प्रचंड होने का दावा करने वालों के सामने शिवराज ने यह साबित कर दिया कि वह सबसे बड़े सर्वेयर हैं. आइए जानें कि मध्य प्रदेश में क्यों फेल हो गई एंटीइंनकंबेंसी...
1.शिवराज सिंह चौहान की छवि
मप्र में BJP ने 2003, 2008 और 2013 का चुनाव जीता। शिवराज सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले राज्य के इकलौते और देशभर में BJP के दूसरे नेता हैं। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह 10 साल सीएम रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन नरेंद्र मोदी से पिछड़ गए. इस चुनाव में उनकी छवि कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों से काफी अच्छी रही. Exit poll में मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान 42 फीसद लोगों की पसंद थे जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया 10 फीसद और कमलनाथ 4 फीसद लोगों की पसंद थे.
2. कांग्रेस की आपसी गुटबाजी
टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार में कांग्रेस की गुटबाजी सतह पर आई. कांग्रेस ने वंशवाद को बढ़ावा देते हुए कई नेताओं के पुत्रों और उनके रिश्तेदारों को टिकट दिया. इसके अलावा कांग्रेस ने टिकाऊ के बजाय जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव लगाया. कांग्रेस ने बीजेपी के बागियों को दिल खोलकर टिकट दिए.
3.मुद्दों को नहीं भुना पाई कांग्रेस
जब शिवराज सिंह चौहान पूरे प्रदेश में अपने द्वारा 15 साल में किए गए विकास को जनता के सामने ले जा रहे थे तो कांग्रेस के नेता उन्हें राफेल, अडानी, अंबानी को मुद्दा बना रहे थे. यह भी बता दें जहां जहां राहुल गांधी ने सभा की वहां वहां वोटिंग परसेंट भी गिरा. राहुल अपनी सभा में मंदसौर के किसानों का मुद्दा उठाने के बजाय नेशनल मुद्दों पर फोकस रहे.
4.बीजेपी का बेहतर बूथ मैनेजमेंट
इस बार कांग्रेस ने बीजेपी की तरह ही बूथ मैनेजमेंट किया था लेकिन बीजेपी का मैनेजमेंट उनसे बेहतर रहा. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह चुनाव से पहले कई दौरे किए और कार्यकर्ताओं को बूथ जीतने का मंत्र देने में सफल रहे.
5.राष्ट्रवाद के पीछे छूट गया साफ्ट हिंदुत्व
इस चुनाव में कांग्रेस ने हिंदुत्व का सहारा लिया. राज्य की 109 सीटों पर 8 धर्मस्थलों का प्रभाव है। इसके लिए नेताओं ने मंदिरों की यात्राएं कीं। अमित शाह उज्जैन के महाकाल मंदिर गए। राहुल ने चित्रकूट में कामतानाथ मंदिर में मत्था टेका। कांग्रेस ने अपने वचन में RSS को लेकर जो वादा किया इससे उसे नुकसान हो रहा है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Farzi 2 Shooting: कब शुरू होगी फर्जी 2 की शूटिंग, एक्ट्रेस राशि खन्ना ने दिए हिंट
-
Taapsee Pannu Photos: सीक्रेट शादी के बाद तापसी पन्नू ने साड़ी में शेयर की पहली फोटोज, फैंस ने स्पॉट की इंगेजमेंट रिंग
-
Ayushmann Khurrana: ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आयुष्मान खुराना ने दिखाई दरियादिली, किया ये जरूरी काम
धर्म-कर्म
-
April Panchak Date 2024: अप्रैल में कब से कब तक लगेगा पंचक, जानें क्या करें क्या ना करें
-
Ramadan 2024: क्यों नहीं निकलते हैं कुछ लोग रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में मस्जिद से बाहर, जानें
-
Surya Grahan 2024: क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा अगला ग्रहण
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए