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कांग्रेस के भीतर चुनाव से पहले ही हराने और जिताने का खेल तेज

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतेगी या हारेगी, यह तो चुनाव के परिणाम बताएंगे, मगर पार्टी के भीतर चुनाव से पहले ही हराने और जिताने का खेल तेज हो गया है. नेताओं की आपस में लामबंदी जारी है.

Updated on: 17 Oct 2018, 03:54 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीतेगी या हारेगी, यह तो चुनाव के परिणाम बताएंगे, मगर पार्टी के भीतर चुनाव से पहले ही हराने और जिताने का खेल तेज हो गया है. नेताओं की आपस में लामबंदी जारी है. एक तरफ प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह खड़े हैं, तो दूसरी ओर प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं, जिन्हें परोक्ष रूप से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का साथ हासिल है.

कांग्रेस डेढ़ दशक से सत्ता से बाहर

राज्य की सियासत में कांग्रेस डेढ़ दशक से सत्ता से बाहर है. लगातार तीन विधानसभा चुनावों में और राज्य की लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इस बार चुनाव सिर पर है और कांग्रेस के भीतर लड़ाई जारी है. यही कारण है कि अबतक उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हो पाए हैं.राहुल गांधी के पिछले दौरों पर प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की सक्रियता साफ नजर आई, मगर ग्वालियर चंबल संभाग के राहुल के दौरे में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह पहुंचे ही नहीं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. राहुल के दौरे की कमान पूरी तरह सिंधिया के हाथ में रही.

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कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी में टिकट बंटवारे पर भोपाल में चलने वाला घमासान अब दिल्ली पहुंच गया है. प्रत्याशी चयन के लिए पार्टी द्वारा गठित समिति की बैठक में प्रदेश के प्रतिनिधि के तौर पर प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को बुलाया गया था. इस बैठक में पार्टी हाईकमान के निर्देश पर सिंधिया भी शामिल हुए. इसपर नाथ और सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी बैठक में बुलाया.

कांग्रेस सूत्र कहते हैं, "कमलनाथ सीधे तौर पर सिंधिया से मोर्चा नहीं लेना चाहते, लिहाजा उन्होंने टिकट बंटवारे में सिंधिया से भिड़ाने के लिए दिग्विजय सिंह और अजय सिंह को आगे किया है. यही कारण है कि बुधवार से पहले हुई बैठक में सिंधिया और अजय सिंह के बीच काफी तीखी नोक-झोंक हुई."

कमलनाथ का कहना है कि पार्टी के उम्मीदवारों की पहली सूची दशहरा के बाद आएगी. इसके लिए पार्टी ने सर्वे सहित अन्य प्रक्रियाएं अपनाई हैं. वह पार्टी में किसी भी तरह की गुटबाजी को लगातार नकार रहे हैं.पार्टी में जहां एक ओर टिकट बंटवारे पर खेमेबाजी है, तो दूसरी ओर दिग्विजय सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह प्रचार न करने की बात कहते हुए कह रहे हैं कि उनके प्रचार से कांग्रेस के वोट कट जाते हैं.

इसे भाजपा ने हाथों-हाथ लिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसपर कहा, "बंटाधार स्वयं ही स्वीकार कर रहे हैं कि प्रचार करेंगे तो कांग्रेस का बंटाधार कर देंगे. वह अकेले थोड़े ही हैं, कमलनाथ भी तो उन्हीं के साथी बंटाधार करने वाले हैं."

भाजपा भी वर्ष 2003 की सड़कों और बिजली की हालत को बयां कर मतदाताओं को डरा रही है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी पिछले दौरे के दौरान दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाधार कहा और साथ ही राज्य की वर्ष 2003 की सड़कों व बिजली के हालात की तुलना वर्तमान हालात से की.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस कहते हैं, "राज्य में सत्ता के पक्ष में माहौल नहीं है, कांग्रेस के लिए संभावनाएं बन रही हैं, मगर कांग्रेस की अंदुरूनी लड़ाई नई बात नहीं है. ठीक वैसा ही हाल है कि, छीका को लपकने से पहले ही उसे फोड़ने की जुगत तेज हो गई है. कांग्रेस में गुटबाजी और उम्मीदवार चयन में नेताओं का दखल रहा तो भाजपा के लिए जीत की राह एक बार फिर आसान हो जाएगी. भाजपा भी इसी के इंतजार में है."