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Holi 2019: विश्व प्रसिद्ध मथुरा की होली क्यों होती है खास, जानें कैसे पहुंच सकते हैं मथुरा

ब्रज की होली देखने और खेलने के लिए घूम आइए मथुरा-वृंदावन

Updated on: 15 Mar 2019, 12:16 PM

नई दिल्ली:

भारत में होली (Holi) का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की होली को देखने देश ही नहीं विदेशों से भी सैलानियों की भीड़ उमड़ती है. होली में ब्रज की होली की छटा ही अलग है, जहां देश के दूसरे हिस्सों में रंगों से होली खेली जाती है वहीं सिर्फ मथुरा एक ऐसी जगह है जहां रंगों के अलावा फूलों से भी होली खेलने का रिवाज है. ज्यादातर जगहों पर जहां होली 1 दिन खेली जाती है, वहीं मथुरा, वृंदावन, गोकुल, नंदगांव, बरसाने में कुल एक हफ्ते तक होली चलती है. हर दिन की होली अलग तरह की होती है. तो आप भी ब्रज की होली देखने और खेलने के लिए घूम आइए मथुरा-वृंदावन.

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भगवान कृष्ण की जन्मभूमि (Birthplace of Lord Krishna)

पौराणिक कथा के अनुसार, मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है इस जगह में होली के उत्सव का लोगों के दिलों और दिमागों में एक विशेष स्थान हैं. हजारों साल के इतिहास और पौराणिक कथाएं प्रमुख कारक हैं जो मथुरा में होली को बहुत खास बनाती हैं. यहां होली भी विभिन्न तरीकों से मनायी जाती है..

बरसाने की लठमार होली (Lathmar Holi)

आप मथुरा के कस्बे बरसाने में लठमार होली को भी देख सकते हैं. लठमार होली डंडो और ढाल से खेली जाती है, जिसमे महिलाएं पुरुषों को डंडे से मारती हैं वहीं पुरुष स्त्रियों के इस लठ के वार से बचने का प्रयास करते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा तब से है जब श्री कृष्ण होली के समय बरसाने आए थे. तब कृष्ण राधा और उनकी सहेलियों को छेड़ने लगे. उसके बाद राधा अपनी सखियों के साथ लाठी लेकर कृष्ण के पीछे दोड़ने लगीं. बस तब से बरसाने में लठमार होली शुरू हो गई. बरसाने की लठमार होली की शुरुआत शुक्ल पक्ष की नवमी को होती है. इस लट्ठमार होली में होरियारे जो कान्हा के सखा कहे जाते है वह सुबह से तैय्यारी शुरू कर देते है. सबसे पहले तैय्यारी शुरू होती है भांग की कूट के साथ और भांग की छनाई के साथ और पिसाई के साथ जहां नंदगाँव वासी रसिया गीत गाते हुए आनंदमय मौहौल में नज़र आएंगे. नंदगांव के लोगों ने लठ्मार होली को वर्षों पुरानी परम्परा बताया है.

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वृंदावन की फूलों की होली (Vrindavan Flower Holi)

बांके बिहारी मंदिर में फूलों की ये होली सिर्फ 15-20 मिनट तक चलती है. फागुन की एकादशी को वृंदावन में फूलों की होली मनाई जाती है. शाम 4 बजे की इस होली के लिए समय का पाबंद होना बहुत जरूरी है. इस होली में बांके बिहारी मंदिर के कपाट खुलते ही पुजारी भक्तों पर फूलों की वर्षा करते हैं.

मथुरा की विधवा होली

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वृंदावन में देश के कई कोनों से आई विधवाएं रहती हैं. परिवार के लोग इन्हें यहां छोड़ देते हैं. यहां विधवा महिलाएं भी जमकर होली खेलती हैं. जीवन के रंगों से दूर इन विधवाओं को होली खेलते देखना बहुत सुंदर होता है. इसीलिए 2013 में शुरू हुआ ये इवेंट वृंदावन की होली के सबसे लोकप्रिय इवेंट में से एक हो गया है जो एक बहुत ही अच्छा और सार्थक कदम है क्योंकि पहले हमारे देश के रीति-रिवाज इसके खिलाफ थे. रूढ़िवादी सोच में इन विधवाओं की होली से हर तरह का रंग खत्म कर दिया जाता है. ये होली फूलों की होली के अगले दिन अलग-अलग मंदिरों में खेली जाती है.

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होली पर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो उसके लिए बरसाने से बेहतर दूसरा कुछ नहीं हो सकता है. आगरा एक्सप्रेस वे बनने के बाद अब वृंदावन और बरसाना तक पहुंचने में वक्त भी कम लगता है. लखनऊ से आगरा तक लगभग चार घंटे में पहुंचा जा सकता है और वहां से आधे घंटे में वृंदावन पहुंचा जा सकता है.

कैसे पहुंचे मथुरा (How to reach Mathura)

आगरा से करीब 1 घंटे की सड़क यात्रा करने के बाद यमुना के किनारे भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थल मथुरा स्थित है. इस पूरे क्षेत्र में भव्य मंदिर निर्मित हैं जो श्री कृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं. मथुरा और वृंदावन के जुड़वा शहर, जहां श्री कृष्ण का जन्म और लालन पालन हुआ, आज भी उनकी लीला और उनकी जादुई बांसुरी की ध्वनि से गुंजित रहते हैं.

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मथुरा के प्रमुख मंदिर

  • गोविन्द देव मंदिर
  • रंगजी मंदिर
  • द्वारकाधीश मंदिर
  • बांकेबिहारी मंदिर
  • इस्कॉन मंदिर 

हवाई मार्ग (Air Route)

खेरिया, आगरा-62 किमी की दूरी पर स्थित नज़दीकी हवाई अड्डा है.

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रेल मार्ग (Train Route)
मथुरा उत्तर प्रदेश और देश के प्रमुख शहरों मसलन दिल्ली, आगरा, मुंबई, जयपुर, ग्वालियर, हैदराबाद, चेन्नै, लखनऊ से जुड़ा हुआ है.

प्रमुख रेलवे स्टेशन ( Railway Station)

मथुरा जंक्शन (उत्तर-मध्य रेलवे) और मथुरा कैंट (उत्तर-पूर्व रेलवे)

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सड़क मार्ग 
मथुरा नेशनल हाईवे के जरिये सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. प्रमुख शहरों से सड़क यात्रा के लिए दूरी इस प्रकार है-

  • आगरा-56 किमी
  • दिल्ली-145 किमी
  • गोकुल- 10 किमी
  • महावन- 14 किमी
  • वृंदावन- 15 किमी

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  • गोवर्धन-26 किमी
  • भरतपुर-39 किमी
  • बरसाना-47 किमी
  • नंदगाँव- 53 किमी