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केरल: 12 साल में एक बार खिलता है ये फूल, 8 लाख लोग करेंगे दीदार

केरल के मुन्नार में जल्द ही नीलकुरिन्जी का मौसम आने वाला है। केरल पर्यटन को जुलाई से अक्टूबर 2018 के दौरान 8 लाख पर्यटकों के आने की उम्मीद है।

Updated on: 01 Jun 2018, 08:21 PM

तिरुवनंतपुरम:

केरल के मुन्नार में जल्द ही नीलकुरिन्जी का मौसम आने वाला है। केरल पर्यटन को जुलाई से अक्टूबर 2018 के दौरान 8 लाख पर्यटकों के आने की उम्मीद है। इन महीनों के दौरान इडुक्की जिले के मुन्नार में 12 सालों बाद नीलकुरिन्जी के फूल खिलेंगे।

क्या है नीलकुरिन्जी?

स्थानीय भाषा में नीला का तात्पर्य रंग से है और कुरिन्जी फूल का स्थानीय नाम है। केरल पर्यटन की ओर से जारी बयान के अनुसार, नीलकुरिन्जी (स्ट्रोबिलांथेस कुंथियाना) प्राय: पश्चिमी तटों पर पाया जाता है और 12 साल में एक बार खिलता है। यह एक दशक लंबा चक्र इसे दुर्लभ बनाता है।

तीन महीने तक खिले रहेंगे फूल

पिछली बार यह फूल साल 2006 में खिला था। भारत में इस फूल की 46 किस्में पाई जाती हैं। मुन्नार में यह सर्वाधिक संख्या में उपलब्ध है। जुलाई की शुरुआत में नीलकुरिन्जी के खिलने के बाद अगले तीन माह तक पहाड़ियां नीली दिखेंगी।

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नीलकुरिन्जी खिलने की ऋतु के विषय में केरल पर्यटन विभाग के निदेशक पी. बाला किरण ने कहा, 'मुन्नार जाने के लिए नीलकुरिन्जी के खिलने से बेहतर कोई समय नहीं है। साल 2017 में 628,427 पर्यटक मुन्नार आए थे, जो कि 2016 के 467,881 पर्यटकों की तुलना में 34.31 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष मुन्नार में पर्यटकों की संख्या में 79 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। इस पौधे का अनूठा जीवनचक्र पहाड़ों को यात्रा प्रेमियों का चहेता गंतव्य बनाता है।'

बयान के अनुसार, इन पहाड़ियों पर भव्य और दुर्लभ नीलगिरी थार भी पाया जाता है। नीलकुरिन्जी के खिलने के समय टूर प्लानर और एडवेंचर क्लब इन पहाड़ियों पर ट्रैकिंग का आयोजन करेंगे। आस-पास के आकर्षणों में दक्षिण एशिया का सबसे लंबा अनामुदी पीक शामिल है, जहां ट्रैकिंग की व्यवस्था देश में सर्वश्रेष्ठ है।

एराविकुलम नेशनल पार्क में नीलगिरी थार को संरक्षण प्रदान किया गया है। एराविकुलम नेशनल पार्क नीलकुरिन्जी का प्रमुख क्षेत्र है, जहां प्रतिदिन अधिकतम 2750 पर्यटकों को आने की अनुमति है। फूल खिलने के समय प्रशासन 40 प्रतिशत अतिरिक्त आगंतुकों के लिए अनुमति देगा।

बयान में कहा गया है कि मुन्नार समुद्र तल से 1600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और मुद्रापुझा, नल्लाथन्नी और कुंडला से घिरा है। यह भारत के छुट्टी बिताने वाले सर्वश्रेष्ठ यात्रा गंतव्यों में से एक है।

केरल पर्यटन ने भी उस प्रत्येक यात्री के लिए योजना बनाई है, जो इस स्थान की सुंदरता में खो जाना चाहता है। इडुक्की की जिला पर्यटन प्रवर्तन समिति भी पर्यटकों को पहाड़ियां एक्स्प्लोर करने के लिए सहयोग प्रदान करती है।

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