Kumbh mela 2019 : संगम की रेत पर शिवनाम की अलख जगाने में जुटे साधु-संत
मूलतः शैव सम्प्रदाय से जुड़े जंगम साधुओं का कुम्भ में डेरा फेरा शैव अखाड़ों की छावनी के इर्द गिर्द है.
नई दिल्ली:
संगम की रेती पर नागा सन्यासियों संग, संतो महंतों, महामंडलेश्वरों के बीच खास अंदाज में भजन गाकर आजीविका चलाने वाले जंगम साधु अपने अंदाज में शिवनाम की अलख जगाने में जुटे हैं. मूलतः शैव सम्प्रदाय से जुड़े जंगम साधुओं का कुम्भ में डेरा फेरा शैव अखाड़ों की छावनी के इर्द गिर्द है. सिक्खों से मिलती जुलती वेशभूषा, सर पर दशनामी पगड़ी के साथ काली पट्टी पर तांबे पीतल से बने गुलदान में मोर के पंखों का गुच्छ. सामने की ओर सर्प निशान के अतिरिक्त कॉलर वाला कुर्ता पहने और हाथ मे खजड़ी मजीरा, घंटियां लिए साधुओं का दल अखाड़ों की छावनी मे आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ये शैव सम्प्रदाय से जुड़े जंगम साधु है जिनका डेरा शैव अखाड़ों की छावनी के इर्द गिर्द है.
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जंगम साधु मूलतः दशनाम अखाड़ो के भाट है जो अपनी अलग अनूठी अभिनय संवाद शैली में अखाड़ो की गौरव गाथा के साथ शिव की कथा भी अत्यंत रोचक तरीके से सुनाते है. इनका काम दशनाम सन्यास की परंपराओं का गुणगान करना है. जिसे ये गायन शैली में इस तरह बयां करते हैं कि सुनने वाला मंत्र मुग्ध हो जाता है.
जंगम परंपरा का मकसद संतो की नहीं श्रद्धालुओं के बीच अखाड़ों के गौरव गान करना है ये साधु सिर्फ मेले में आते हैं बाकी समय किसी धार्मिक स्थान पर भ्रमण करते है. कुंभ में एक अखाड़े से दूसरे अखाड़े घूमते कथा सुनाते जंगम साधुओं का ये क्रम पूरे मेले में जारी रहेगा.
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