logo-image

राजिम को कुंभ मानने पर शंकराचार्यों में मतभेद, जानें किसने क्‍या कहा

छत्‍तीसगढ़ के राजिम में हर साल आयोजित होने वाले कुंभ को लेकर पुरी पीठ के शंकराचार्य जगदगुरु निश्चलानंद सरस्वती ने इसे कुंभ मानने से इंकार कर दिया था

Updated on: 09 Jan 2019, 12:58 PM

रायपुर:

छत्‍तीसगढ़ के राजिम में हर साल आयोजित होने वाले कुंभ को लेकर पुरी पीठ के शंकराचार्य जगदगुरु निश्चलानंद सरस्वती ने इसे कुंभ मानने से इंकार कर दिया था और आयोजकों को मंच से कड़ी फटकार लगाई थी, लेकिन द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य जगदगुरु स्वामी स्वरूपानंद ने कहा है कि राजिम कुंभ स्वाभाविक रूप से पांचवां कुंभ है. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के मौली विहार स्थित निजी निवास से चर्चा करते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने कहा है कि दो अर्धकुंभ हरिद्वार और प्रयाग में होते हैं. इस तरह छह कुंभ हो गए और राजिम सातवां कुंभ हो गया. शास्त्रों में कहीं नहीं लिखा कि कुंभ चार ही होंगे, पांचवां नहीं.  

यह भी पढ़ेंः छत्‍तीसगढ़ः भूपेश कैबिनेट का फैसला, 13 वर्षों से चल रहे राजिम कुंभ का बदलेगा नाम

राज्य सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की पहल पर राजिम कुंभ का आयोजन किया जा रहा है. इससे पहले लंबे अरसे से राजिम के त्रिवेणी संगम में राजिम मेला लगता रहा है. इस मेले का स्वरूप बदलने पर पिछले कई सालों से विवाद भी चल रहा है. कुछ लोग इसे भाजपा और हिंदुत्व की राजनीति से भी जोड़ते हैं. यही कारण है कि कथित राजिम कुंभ को लेकर कोई न कोई विवाद सामने आता है. लेकिन इस बार देश के दो शंकराचार्यों के बीच खुला टकराव सामने आया है.

यह भी पढ़ेंः मगरमच्‍छ के मरने पर रोया पूरा गांव, जानें ऐसा क्‍या था उस 'गंगाराम' में

पुरी पीठाधीश जगदगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भी इस बात पर जबरदस्त आपत्ति की थी कि राजिम का ये पांचवां कुंभ सरकार ने बना कैसे लिया? वेद-पुराणों में सिर्फ चार ही कुंभ हैं. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि उनके आमंत्रण पत्र में कुंभ कल्प लिखा था, इसलिए वे आए. अगर उन्हें पता होता कि इसे कुंभ नाम दिया गया है, तो वे यहां आते ही नहीं. उन्होंने कहा था कि अपने मन से पांचवां कुंभ बना लिया. देश में और भी नदियों के संगम हैं, सभी जगह कुंभ का निर्माण क्यों नहीं करते? मान्यता प्राप्त चार शंकराचार्य हैं. आपके हाथ में सत्ता है, तो आप पांचवां और 25वां शंकराचार्य भी बनवा सकते हैं.