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अलगाववादियों की गिरफ्तारी का महबूबा मुफ्ती ने किया विरोध, कहा- व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं विचारों को नहीं

मुफ्ती ने कहा कि सरकार के इस कदम को मनमाना बताते हुए कहा कि आप किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं लेकिन उसके विचार को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.

Updated on: 23 Feb 2019, 11:42 PM

श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पीडीपी (पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने घाटी में जमात कैडरों और अन्य अलगावावादी नेताओं की गिरफ्तारी का विरोध किया है. मुफ्ती ने कहा कि सरकार के इस कदम को मनमाना बताते हुए कहा कि आप किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं लेकिन उसके विचार को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शुक्रवार देर रात जमात-ए-इस्लामी के सरगना अब्दुल हामिद फयाज सहित करीब दो दर्जन कैडरों को हिरासत में लिया है. साथ ही शुक्रवार को घाटी में प्रमुख अलगाववादी नेता यासीन मलिक को भी हिरासत में लिया गया है.

महबूबा मुफ्ती ने विरोध दर्ज करात हुए ट्वीट किया, 'पिछले 24 घंटे में, हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. समझ में नहीं आ रहा है, ऐसे मनमाने कदम जम्मू-कश्मीर में मुद्दों को सिर्फ कमजोर करेगा. किस कानूनी प्रक्रिया के तहत उनकी गिरफ्तारी सही है? आप एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं लेकिन उसके विचार को नहीं.'

वहीं जमात ने हिरासत की कार्रवाई का विरोध करते हुए एक बयान जारी करते हुए कहा, 'यह कार्रवाई इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है.'

जमात ने कहा कि 22 और 23 फरवरी के मध्य रात में पुलिस और दूसरी एजेंसियों ने सामूहिक गिरफ्तारी (मास अरेस्ट) अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापेमारी की, जिसमें जमात प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज और वकील जाहिद अली सहित केंद्रीय और जिला स्तर के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया है.

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जमात कैडरों को दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग, पहलगाम, डायलगाम, त्राल सहित अलग-अलग इलाकों से हिरासत में लिया गया. जमात ने ऐसे समय में इस कार्रवाई को 'संदेहास्पद' बताया है कि जब सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद-35ए से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने वाला है जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है.

बयान के अनुसार, 'जिस तरीके से सुरक्षा बलों ने सामूहिक गिरफ्तारी चलाई है और दर्जनों जमात सदस्यों को सुनवाई से पहले हिरासत में लिया गया है, इससे पर्दे के पीछे बड़ी साजिश मालूम होती है. अनुच्छेद-35ए को मिटाने या छेड़छाड़ करने का कोई भी प्रयास जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अस्वीकार्य है.'

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संविधान के अनुच्छेद 35-ए के समर्थन में पिछले कुछ दिनों से लगातार कश्मीर घाटी में अलगाववादियों की ओर से बंद का आह्वान किया जा रहा है. अनुच्छेद 35-ए को समाप्त करने को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.

यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के नागरिकों और उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करने की शक्ति प्रदान करता है. केंद्र सरकार ने बिना कोई कारण बताए कश्मीर में अर्द्धसैनिक बलों के 100 अतिरिक्त कंपनियों को भेजा है.