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रोचक तथ्‍यः पहले चुनाव में हर वोट पर खर्च हुआ था 87 पैसा, 2014 में बढ़ गया 800 गुना

क्‍या आप जानते हैं कि पहले चुनाव से लेकर अब तक आयोग का खर्च कितना बढ़ा.

Updated on: 12 May 2019, 07:10 PM

नई दिल्‍ली:

देश के सबसे बड़ा महापर्व है लोकसभा चुनाव. चुनाव आयोग ने इस बार एक प्रत्‍याशी पर 70 लाख चुनाव खर्च की सीमा तय कर रखी है. इस बार सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं. माना जा रहा यह दुनिया का सबसे महंगा चुनाव होगा. एक अनुमान के मुताबिक इस बार करीब 5000 करोड़ रुपये चुनाव में आयोग खर्च करेगा. क्‍या आपको पता है हर वोट (Polled Vote) पर चुनाव आयोग का कितना खर्च आता है.

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लोकसभा चुनाव कराने पर चुनाव आयोग कितना खर्च करता है यह प्रश्‍न एक आम वोटर के मन में होता है. क्‍या आप जानते हैं कि पहले चुनाव से लेकर अब तक आयोग का खर्च कितना बढ़ा. आपको ताज्‍जुब होगा कि पहले चुनाव से लेकर 2014 तक के चुनाव में आयोग का खर्च 400 गुना बढ़ चुका है. 1952 के आम चुनाव में सिर्फ 10 करोड़ खर्च हुए थे जो 2014 तक आते-आते करीब 3870.34 करोड़ रुपये हो गया.इस खर्च में राजनीतिक दलों द्वारा और सरकार द्वारा सुरक्षा उपायों पर खर्च किया गया धन शामिल नहीं है.

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1952 में कुल वोटर 17,32,12,343 थे और इनमें से 12,05,13,915 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. एक अनुमान के मुताबिक इस चुनाव में चुनाव आयोग ने 10 करोड़ 45 लाख रुपये खर्च किया था. यानी हर एक वोट पर 87 पैसे खर्च हुए थे. हालांकि पांच सरल बाद 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने केवल पांच करोड़ 90 लाख रुपये में चुनाव संपन्‍न करा लिया और प्रत्‍येक वोट पर खर्च आया 49 पैसे.

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वक्‍त के साथ हर वोटर पर पैसों में होने वाला खर्च 1977 के चुनाव में रुपयों में पहुंच गया. इस साल यह आंकड़ा 87 पैसे से बढ़कर एक रुपये 90 पैसे पर आ गया. 1989 में जहां यह करीब 5 रुपये था दो साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में यह करीब ढाई गुना बढ़कर 12.70 रुपये पर पहुंच गया. 2014 तक आते-आते यह आंकड़ा करीब साढ़ें पांच गुना बढ़कर करीब 70 रुपये हो गया.

साल मतदाता कुल पड़े वोट कुल खर्च(करोड़ रुपये में) एक वोट पर खर्च(रुपये में)
2014 834082814 553020668 3870.34 69.98
2009 716985101 417158969 1114.38 26.71
2004 671487930 389948330 1016.08 26.06
1999 619536847 371669104 947.68 25.50
1998 605880192 375441739 666.22 17.74
1996 592572288 343308090 597.34 17.40
1991 498363801 282700942 359.1 12.70
1989 498906129 309050495 154.22 4.99
1984 671487930 389948330 81.51 2.09
1980 356205329 202752893 54.77 2.70
1977 321174327 194263915 23.03 1.19
1971 274189132 151536802 11.6 .77
1967 250207401 152724611 10.79 .71
1962 216361569 119904284 7.32 .61
1957 193652179 120513915 5.9 .49
1952 173212343 120513915 10.45 .87

ऐसे बढ़ता गया चुनाव खर्च का बोझ

चुनाव आयोग द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाने के कारण 2009 से लागत बढ़ गई. मतदान से छह महीने पहले, आयोग देश भर में अभियान शुरू करता है ताकि लोगों को नामांकन करने के लिए कहा जा सके. यह बड़ी संख्या में विज्ञापन भी जारी करता है. इलेक्‍ट्रोलर फाइनल होने के बाद उन्हें डिजिटाइज़ किया जाता है.

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अन्य खर्चों में उन अधिकारियों को मानदेय का भुगतान शामिल है जो चुनाव संबंधी कार्यों में शामिल हैं. अधिकारियों को प्रशिक्षण सत्र में भाग लेने और यात्रा करने के लिए भुगतान किया जाता है. यह राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार और वीडियोग्राफ भी करता है. इन उपायों से खर्च कई गुना बढ़ गया है. 

भारत का चुनाव दुनिया का सबसे महंगा इलेक्शन होगा

कार्नेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस थिंक-टैंक में साउथ एशिया प्रोग्राम के वरिष्ठ फेलो और डायरेक्टर मिलन वैष्णव ने बताया, '2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और कांग्रेस चुनाव में कुल 6.5 (4.62 खरब रुपये) अरब डॉलर खर्च हुए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में एक अनुमान के मुताबिक 5 अरब डॉलर (3.55 खरब रुपये) खर्च हुए थे. इस तरह 2019 के चुनाव में अमेरिकी चुनाव से अधिक ही खर्च होगा और इस तरह भारत का चुनाव दुनिया का सबसे महंगा इलेक्शन होगा.'

किसान सम्मान निधि से ज्‍यादा होगा खर्च

पूरे देश में ऊपर से नीचे तक होने वाले चुनावों में प्रतिवर्ष अरबों रुपए खर्च होते हैं. यदि व्यय होने वाली कुल राशि एवं उम्मीदवारों द्वारा स्वयं खर्च की जाने वाली धनराशि को जोड़कर देखा जाए तो यह लगभग एक पंचवर्षीय योजना की आधी राशि के बराबर हो जाती है मौजूदा बजट में मनरेगा पर 60 हजार करोड़ और किसान सम्मान निधि पर 35 हजार करोड़ के खर्च का प्रावधान है. इन दोनों से ज्यादा रकम भारतीय आने वाले चुनाव में खर्च करने वाले हैं.

सबसे महंगा विधानसभा चुनाव

कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद किए गए सर्वेक्षण में राजनीतिक दलों द्वारा खर्च किए गए धन के मामले में देश में आयोजित अब तक का यह सबसे महंगा विधानसभा चुनाव करार दिया गया. कर्नाटक के चुनावों में 9,500 से 10,500 करोड़ रुपए के बीच धन खर्च किया गया. यह खर्च राज्य के पिछले विधानसभा चुनावों के खर्च से दोगुना है. लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने प्रति उम्मीदवार अधिकतम 70 लाख रुपए खर्च तय किया है.