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मोदी-शाह को स्वार्थी बताया यशवंत सिन्हा ने, कहा धर्म के आधार पर बंटवारा नहीं होने देंगे

वैसे भी गांधी के विचारों और देश के संविधान से खिलवाड़ करने वाले खुद-ब-खुद अपने खोदे हुए गड्ढों में गिरने के कगार पर बैठे हैं.

Updated on: 27 Jan 2020, 07:55 AM

highlights

  • 'गांधी शांति यात्रा' आगरा से रविवार को सैफई (इटावा) पहुंची.
  • धर्म को बांटकर अब और किसी गांधी का कत्ल नहीं होने देंगे.
  • नई पीढ़ी का भविष्य अंधकार में है. विकास अवरुद्ध है.

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में महाराष्ट्र (मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया) से नौ जनवरी को चली 'गांधी शांति यात्रा' आगरा से रविवार को सैफई (इटावा) पहुंची. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha)  के नेतृत्व में यात्रा के सैफई पहुंचने पर यहां गणतंत्र दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया. इस समारोह की उल्लेखनीय बात यह रही कि 155 फुट ऊंचे खंबे पर लगे तिंरगे को फहराया गया. इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव भी उपस्थित थे.

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शॉल भेंट कर हुआ स्वागत
सीएए के विरोध में निकाली गई गांधी शांति यात्रा को लेकर यहां पहुंचे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व कद्दावर नेता व पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का स्वागत यहां शाल भेंट कर हुआ. रविवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश में गांधी शांति यात्रा की अगुवाई कर रहे आईपी सिंह ने टेलीफोन पर यह जानकारी आईएएनएस को दी. सिंह ने कहा, 'गांधी शांति यात्रा के सैफई पहुंचने और 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित झंडारोहण समारोह में सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी, पूर्व सांसद धर्मेद्र यादव, तेज प्रताप यादव, विधायक डॉ. दिलीप यादव, राज कुमार राजू सहित अनुराग यादव व अंशुल यादव आदि भी मौजूद थे.'

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केंद्र में बैठे हैं स्वार्थी लोग
इस अवसर पर भारी भीड़ को संबोधित करते हुए कभी भाजपा के 'थिंक-टैंक' रहे यशवंत सिन्हा ने कहा, 'गांधी शांति यात्रा के रुप में हम शांति का संदेश लेकर निकले हैं. किसी भी कीमत पर हम केंद्र में बैठे चंद स्वार्थी नेताओं की कारगुजारियों के चलते धर्म को बांटकर अब और किसी गांधी का कत्ल नहीं होने देंगे.' उन्होंने कहा, वैसे भी गांधी के विचारों और देश के संविधान से खिलवाड़ करने वाले खुद-ब-खुद अपने खोदे हुए गड्ढों में गिरने के कगार पर बैठे हैं. बस हमें-आपको आंख और कान खुले रखकर ऐसे लोगों की निगरानी ईमानदारी से करनी है.'

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अखिलेश ने कहा संविधान बचाने की लड़ाई
इस अवसर पर गांधी शांति यात्रा में शामिल होकर पहुंचे लोगों को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, 'महात्मा गांधी गुजरात से धोती पहनकर हाथ में एक अदद लाठी लेकर निकले थे ताकि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखा सकें. इसे बदनसीबी ही कहेंगे कि आज उसी गुजरात के चंद नेता सत्य और अहिंसा की राह में रोड़ा बन रहे हैं. आज देश का किसान दुखी है. नई पीढ़ी का भविष्य अंधकार में है. विकास अवरुद्ध है. अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है. अब सोचिए कि बर्बादी के लिए भला और बाकी कहां तथा क्या बचा है? आज संविधान बचाने की लड़ाई लड़ी जा रही है.