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राफेल सौदे को लेकर यशवंत सिन्हा, प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने SC में दाखिल की पुनर्विचार याचिका

राफेल डील को लेकर 14 दिसंबर को दिये गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

Updated on: 02 Jan 2019, 12:26 PM

नई दिल्ली:

राफेल डील मामले को लेकर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. राफेल डील को लेकर 14 दिसंबर को दिये गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस याचिका में राफेल मामले को लेकर केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में ग़लत जानकारी दने का आरोप लगाया गया है. याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार अर्जी के लिए खुली अदालत में मौखिक सुनवाई करने का अनुरोध करते हुए कहा, 'राफेल पर हाल के फैसले में कई त्रुटियां हैं. यह फैसला सरकार द्वारा किए गए गलत दावों पर आधारित है, जो सरकार ने बिना हस्ताक्षर के सीलबंद लिफाफे में दिया था और इस तरह से स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है.' 

याचिका में फैसले की समीक्षा के साथ साथ ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग की गई है ताकि याचिकाकर्ताओं को केस से जुड़े तथ्यों पर फिर से जिरह का मौका मिल सके.

याचिका के आधार

इस याचिका में कहा गया है-

* सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई तथ्यात्मक, क़ानूनी त्रुटियां है.

* फैसले का आधार सरकार द्वारा सीलबंद कमर में सुप्रीम कोर्ट को दी गई ग़लत जानकारी पर आधारित है.ये वो जानकारी है, जिनको कभी भी याचिकाकर्ताओं से साझा नहीं किया गया और ना ही उन बिंदुओं पर याचिकाकर्ताओं को कोर्ट में जिरह करने का मौका दिया गया.

*कोर्ट ने अपने फैसले में याचिकाकर्ताओं की मुख्य मांग पर गौर ही नहीं किया.याचिकाकर्ताओ की मांग थी कि सीबीआई को निर्देश दे कि वो उनकी ओर से दायर शिकायत पर तुंरत एफआईआर दर्ज़ कर जांच का आदेश दे. कोर्ट द्वारा ख़ुद डील की न्यायिक समीक्षा करना और सीबीआई को जांच का आदेश देना दोनों अलग अलग बाते है. इस मामले में कोर्ट ने बिना सीबीआई या किसी जांच एजेंसी को जांच के लिए कहने की बजाए, ख़ुद डील को रिव्यु करने की ग़लती की.यहाँ तक कि कोर्ट ने सीबीआई से उनकी ओर से दायर शिकायत पर हुई जांच का स्टेटस तक नहीं पूछा.

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*इस मामले में फैसला सुरक्षित होने के बाद इस केस सके जुड़े कई अहम तथ्य सामने आए हैं, जो सरकर कर दावों को झुठलाते है, उन पर चर्चा ज़रूरी है. इनमे भारतीय वार्ताकारों की टीम में मतभेद, सम्प्रभु गांरटी का न होना, बेंचमार्क कीमत को बढ़ाना हासिल.