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रोहिंग्या-अहमदिया मुसलमानों को CAA में शामिल क्यों नहीं किया गया, वृंदा करात ने उठाए सवाल

माकपा नेता वृंदा करात ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि अगर सरकार को पड़ोसी देशों में लोगों पर हो रहे अत्याचारों की इतनी फिक्र है तो उसने सीएए में रोहिंग्या और अहमदिया मुसलमानों को क्यों शामिल नहीं किया?

Updated on: 18 Feb 2020, 01:24 PM

रायपुर:

माकपा नेता वृंदा करात (Vrinda Karat) ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि अगर सरकार को पड़ोसी देशों में लोगों पर हो रहे अत्याचारों की इतनी फिक्र है तो उसने सीएए में रोहिंग्या (Rohingya and Ahmadia) और अहमदिया मुसलमानों को क्यों शामिल नहीं किया? वृंदा ने कहा कि म्यामां में रोहिंग्या और पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. माकपा नेता ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को ‘बांटनेवाला और भेदभावपूर्ण’’ करार देते हुए कहा कि भारत के लिए यह दुखद है कि बाहरी ताकतों के स्थान पर केन्द्र सरकार खुद ही संविधान को कमजोर करने और देश को बांटने में लगी है.’

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उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि 1950 में जब पूरे देश ने डॉक्टर बी. आर आम्बेडकर के नेतृत्व में बने संविधान का स्वागत किया था तब ‘केवल आरएसएस उसका विरोध कर रहा था’. वृंदा ने कहा, ‘‘ वे उनको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहते हैं लेकिन वह ‘राष्ट्रीय सर्वनाश संघ’ है.' उन्होंने सीएए, देशभर में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने के प्रस्ताव और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ प्रदर्शन रैली को सोमवार की रात संबोधित किया. जय स्तम्भ चौक पर आयोजित इस रैली में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं पहुंची थीं. प्रदर्शनकारी इसे ‘रायपुर का शाहीन बाग’ कहते हैं.

वृंदा ने पूछा, ‘आप (केन्द्र) कहते हैं कि पड़ोसी देशों में सताए जा रहे लोगों की आपको चिंता है. हम सहमत हैं कि इन लोगों को पनाह दी जानी चाहिए. पर क्या केवल तीन देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश हमारे पड़ोसी हैं? क्या नेपाल, म्यामां, श्रीलंका में उत्पीड़ित लोग नहीं हैं?’ उन्होंने पूछा कि भारत में तमिल शरणार्थियों के होने के बावजूद सीएए में तमिलों का उल्लेख क्यों नहीं है.

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करात ने आरोप लगाया, ‘‘ आपके (सरकार के) मन में म्यामां और पाकिस्तान में अत्याचार झेल रहे रोहिंग्या और अहमदिया लोगों के लिए जज़्बात क्यों नहीं है? इन दो समुदायों को कानून के दायरे में क्यों नहीं लाया गया? क्योंकि वे हिंदू नहीं हैं? या तो आपको पीड़ित लोगों की चिंता नहीं है या आप अपनी संकीर्ण मानसिकता दिखा रहे हैं?’’ उन्होंने दावा किया कि सीएए में चुनिंदा समुदायों को शामिल किया गया है और सभी पीड़ित लोग इसके दायरे में नहीं हैं.