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तो इस वजह से NSA Ajit Doval से डरता है पाकिस्तान, जानिए अजित डोभाल से जुड़ी कुछ खास बातें

चाहे वो ऑपरेशन ब्लू स्टार रहा हो या पाकिस्तान में खुफिया तरीके से रहना हो या फिर भारत का पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक रहा हो, हर जगह डोभाल ने खुद को साबित किया है और देश की सुरक्षा चाक चौबंद की है

Updated on: 11 Aug 2019, 07:16 AM

highlights

  • पाकिस्तान में 7 साल तक रह चुके हैं अजीत डोभाल. 
  • पाकिस्तान की रग-रग से वाकिफ अजीत की पाकिस्तान में रहने की कहानी. 
  • इन बड़े ऑपरेशनों को अजीत डोभाल ने ही किया था पूरा.

नई दिल्ली:

Who is Ajit Doval: अजीत डोभाल, पाकिस्तान (The Republic of Pakistan) के लिए ये नाम किसी बुरे सपने से कम नहीं है. जब भी पाकिस्तान के सामने अजीत डोभाल का नाम आता है तो वो डर के मारे थरथर कांपने लगता है. अजीत डोभाल ने देश की सुरक्षा के कई ऐसे कारनामें हैं जिसे लोग आज भी याद करते हैं, चाहे वो ऑपरेशन ब्लू स्टार रहा हो या पाकिस्तान में खुफिया तरीके से रहना हो या फिर भारत का पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक रहा हो, हर जगह डोभाल ने खुद को साबित किया है और देश की सुरक्षा चाक चौबंद की है. अजीत डोभाल से न केवल पाकिस्तान की हवा खराब रहती है बल्कि चाइना भी उनकी नीतियों से ड़रता है.

फिलहाल अजित डोभाल जम्मू कश्मीर के अलग-अगल जिलों में जाकर सुरक्षा का जायजा ले रहे हैं और लोगों से बात-चीत कर रहे हैं . इस बात चीत के दौरान वो भारत सरकार की नीतियों पर लोगों की राय जानने की कोशिश कर रहे हैं. 

तो आईये एक नजर डालते हैं कि आखिर दोनों देशों को डराकर रखने वाले अजीत हैं कौन-
कौन हैं अजीत डोभाल -

  • अजीत डोभाल केरल कैडर के एक आईपीएस अधिकारी हैं.
  • सेवानिवृत्त होने के बाद वो देश के पांचवें सुरक्षा सलाहकार बने. डोभल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के गिरि बानसेल्युन गाँव में हुआ था.
  • इनके पिता इंडियन आर्मी में थे.

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  • उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के अजमेर में अजमेर सैन्य स्कूल में की. उन्होंने 1967 में आगरा विश्वविद्यालय (Agra University) से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री ली. स्नातक के बाद उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी.
  • डोभाल केरल कैडर में 1968 में आईपीएस में शामिल हुए।
  • अजीत डोभाल ने ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया. कहा जाता है कि वह सात साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस रहे.
  • एक तेज तर्रार खुफिया अफसर के रूप में स्थापित अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर पद से सन 2005 रिटायर हुए.
  • इसके बाद साल 2009 में अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट बन गए. इस दौरान न्यूज पेपर में लेख भी लिखते रहे.
  • साल 1989 में अजीत डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'ऑपरेशन ब्लैक थंडर' का नेतृत्व किया था.
  • उन्होंने पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी.
  • जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल ने कई आतंकियों को सरेंडर कराया था.
  • अजीत डोभाल 33 साल तक नार्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे हैं, जहां उन्होंने कई अहम ऑपरेशन में हिस्सा लिया है.
  • 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया.
  • ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने एक जासूस की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका.

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7 साल तक रह चुके हैं पाकिस्तान में
एनएसए अजीत डोभाल 7 सालों तक खुफिया तरीके से पाकिस्तान में जासूस के तौर पर रह चुके हैं. इसका एक किस्सा काफी फेमस हुआ था- लाहौर में एक मजार के पास एक मुसलमान ने अजीत डोभाल को पहचान लिया था कि वो पाकिस्तानी या एक तरह से कहें तो मुसलमान हैं ही नहीं. उस मुसलमान ने उनसे पूछा कि क्या तुम हिंदू हो? तो डोभाल चौंक गए और उन्होंने जवाब दिया- नहीं. फिर वो उन्हें अपने साथ लेकर गया और एक छोटे कमरे में दोनों गए, उसने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और एक बार फिर उसने कहा कि देखो मैं कह रहा हूं तुम हिंदू हो. डोभाल ने फिर से ना मे जवाब दिया. तो उस मुसलमान ने अजीत से कहा कि तुम्हारे कान छिदे हुए हैं. तो डोभाल ने बात बनाते हुए कहा कि हाँ बचपन में मेरे कान छेदे गए थे लेकिन मैं बाद में कनवर्ट हो गया था. उसने कहा तुम बाद में भी कनवर्ट नहीं हुए थे. ख़ैर तुम इसकी प्लास्टिक सर्जरी करवा लो नहीँ तो यहाँ लोगों को शक हो जाएगा.
इसके बाद उस मुसलमान ने कहा कि वो भी एक हिंदू है. फिर उसने अपनी आलमारी में शिव और दुर्गा जी की तस्वीरें उन्हें दिखाई. डोभाल ने विदर्भ मैनेजमेंट एसोसिएशन के समारोह में भाषण देते हुए एक कहानी सुनाई थी.
पाकिस्तान में छिपकर रहते हुए पाकिस्तान के कई खुफिया राज अजीत डोभाल ने पता कर लिए थे और यही वजह है कि पाकिस्तान आज भी उनसे डरता है.
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इन ऑपरेशन में भी रहें हैं शामिल

  • साल 1989 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर से पहले अजीत डोभाल ने महत्वपूर्ण ख़ुफ़िया जानकारी हासिल की थी. दरअसल डोभाल एक रिक्शेवाले के भेष में स्वर्ण मंदिर में घुसे और चरमपंथियों की पोजीशन और संख्या की जानकारी लेकर बाहर आए थे जिससे ऑपरेशन सफल रहा था क्योंकि सेना को उनके पोजिशन और हथियारों की एकदम सटीक जानकारी डोभाल ने मुहैया कराई थी.
  • जून 2014 में, डोभाल ने उन 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी हुई थीं।
  • हालाँकि, उनकी रिहाई की सही स्थिति स्पष्ट नहीं है, 5 जुलाई 2014 को, ISIS आतंकवादियों ने नर्सों को एरबिल शहर में अधिकारियों को सौंप दिया और भारत सरकार द्वारा दो विशेष रूप से व्यवस्थित विमानों से उन्हें कोच्चि में वापस घर लाया गया।
  • सितंबर 2016 में पाकिस्तान में भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक उनका दिमागी उपज थी जो भारत के लिए शत्रुतापूर्ण लक्ष्यों को बेअसर करने में बेहद प्रभावी थे.

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370 हटाने के पहले और बाद में जम्मू कश्मीर का दौरा-
अजीत डोभाल 370 हटाने के पहले भी जम्मू कश्मीर जाकर वहां का जायजा लिया था. इसके बाद घाटी में सुरक्षाबलों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी की गई और बाद में एयरफोर्स को भी हाई अलर्ट पर रखा गया. बताया गया था कि अमरनाथ यात्रा पर जारहे श्रद्धालुओं पर आतंकी हमले का खतरा था. धारा 370 हटाने के बाद तुरंत ही डोभाल श्रीनगर के लिए निकल पड़े और ग्राउंड जीरो पर रहकर सुरक्षा व्यस्था चाक चौबंद की.