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आखिर कहां हैं पी चिदंबरम? प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई को भी नहीं मिल रहे

सुप्रीम कोर्ट में आज गिरफ्तारी से बचने की उनकी अर्जी पर सुनवाई हो सकती है. देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्‍हें जेल मिलती है या फिर बेल.

Updated on: 21 Aug 2019, 09:46 AM

नई दिल्ली:

INX मीडिया केस में पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका मंगलवार को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी. उसके बाद से सीबीआई और ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय की टीमें उन्‍हें खोज रही हैं पर वे नहीं मिल रहे हैं. बताया जा रहा है कि पी चिदंबरम मंगलवार शाम तक सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थे. उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है और वे इससे बचने की हरसंभव जुगत में हैं. सुप्रीम कोर्ट में आज गिरफ्तारी से बचने की उनकी अर्जी पर सुनवाई हो सकती है. देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्‍हें जेल मिलती है या फिर बेल. बताया जा रहा है कि सुबह साढ़े 10 बजे उनकी याचिका पर सुनवाई हो सकती है.

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दिल्‍ली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीमें पी चिदंबरम के घर पहुंचीं, लेकिन वे नहीं मिले. दोनों टीमें उनके घर से लौट गईं. देर रात तक उनकी गिरफ्तारी की संभावना थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. CBI ने उनके घर नोटिस चिपका दिया है, जिसमें उन्हें 2 घंटे के अंदर हाजिर होने को कहा गया था.

INX मीडिया केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए पी चिदंबरम ने दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई. उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने कहा कि इस मामले में जो सबूत अदालत के समक्ष पेश किए गए हैं, उनसे प्रथमदृष्ट्या साबित होता है कि याचिकाकर्ता इस मामले (आईएनएक्स) का मुख्य साजिशकर्ता है.

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अदालत ने कहा कि चिदंबरम भले ही पूर्व वित्तमंत्री और मौजूदा सांसद हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि अहम पद पर बैठकर गलती नहीं की जा सकती, इसलिए यह जरूरी है कि याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए. उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद चिदंबरम के पास गिरफ्तारी से बचने के लिए अब सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा ही बचा है.

पी चिदंबरम पर आरोप
सीबीआई INX मीडिया केस में पी चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है. जांच एजेंसी ने 15 मई, 2017 को यह मामला दर्ज किया था. चिदंबरम पर आरोप है कि वित्तमंत्री रहने के दौरान उन्होंने 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए INX मीडिया समूह को एफआईपीबी मंजूरी देने में अनियमितता बरती थी. ईडी ने काले धन को सफेद बनाने (मनी लॉन्डरिंग) को लेकर उनके ऊपर 2018 में मामला दर्ज किया था.