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13 Point Roster System क्या है, जिस पर देश भर में मचा है बवाल

13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के तहत किसी डिपार्टमेंट में आई नियुक्तियों को एक निश्चित तरीके से भरा जाएगा.

Updated on: 06 Mar 2019, 11:55 AM

नई दिल्ली:

13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम एक ऐसा रिजर्वेशन सिस्टम है जिसके द्वारा यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन के द्वारा अप्रूव्ड कॉलेज और यूनिवर्सिटी में टीचरों और प्रोफेसरों को नियुक्तियां की जाएगी हैं. 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के तहत किसी डिपार्टमेंट में आई नियुक्तियों को एक निश्चित तरीके से भरा जाएगा. यानि अगर किसी विभाग में 4 नियुक्तियां होनी है तो तो शुरूआत की 3 नियुक्तियों के लिए पोस्ट पर General कैटेगरी और चौथे स्थान को OBC कैटेगरी में रजिस्टर करना होगा और जब अगली वैकेंसी आएगी तब इस प्रक्रिया के हिसाब से जब पांचवीं भर्ती संख्या 1 से न शुरू होकर 5 से शुरू होगी और इसे आगे रजिस्टर में दर्ज करना होगा. अब इसी प्रक्रिया को 13 प्वाइंट तक चलाना होगा.

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ऐसे काम करता है 13 point Roster System 

  • इस सिस्टम के मुताबिक शुरूआत के तीन पद पद अनारक्षित रहेंगे.
  • चौथा पद OBC को दिया जाएगा.
  • पांचवा और छठा पद फिर से अनारक्षित रहेगा.
  • सातवां पद SC को दिया जाएगा.
  • आठवां पद फिर से OBC को मिलेगा.
  • नौवां, दसवां और ग्यारहवां पद फिर से अनारक्षित रहेगा.
  • बारहवां पद फिर से OBC को मिलेगा.
  • अंत में तेरहवां पद ST को दिया जाएगा.

अब अगर डिपार्टमेंट में चौदहवां पद आता है तो फिर से यही प्रक्रिया आगे दोहराई जाएगी.

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बता दें कि यूपीए के कार्यकाल में उच्च शिक्षण संस्थानों में OBC आरक्षण लागू करने का मामला आया था. इसके बाद सरकार ने यूजीसी को एक पत्र लिखकर आरक्षण के नियमों को स्पष्ट करने कि लिए कहा. इसके बाद प्रोफ़ेसर रावसाहब काले की अध्यक्षता में एक समिति बनी और 200 प्वाइंट रोस्टर अस्तित्व में आया. इस रोस्टर में यूनिट विश्वविद्यालय को बनाया गया और उसी आधार पर आरक्षण लागू करने की बात की गई.

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200 प्वाइंट को लागू करने का उद्देश्य ये था कि जो प्रतिशत आरक्षण के लिए निर्धारित किए गए हैं उनका पालन हो सके. 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को SC/ST/OBC आरक्षण सिस्टम के साथ 'खिलवाड़' बताया जा रहा है. अभी बवाल इसलिए मचा हुआ है, क्योंकि 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम पर यूजीसी और मानव संसाधन मंत्रालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी, 2019 को खारिज कर दिया. इसके साथ ये तय हो गया कि इसके जरिए ही अभी पदों को भरा जाएगा.