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सीमा विवाद को लेकर चीन के खिलाफ फूटा गुस्सा, सिलीगुड़ी में जलाए चीनी प्रॉडक्ट्स

सिक्किम में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर देश में अब लोगों का गुस्सा फूटने लगा है। चीनी सेना की घुसपैठ के खिलाफ पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में चीनी सामानों को लोगों ने जलाना शुरू कर दिया है।

Updated on: 22 Jul 2017, 01:35 PM

highlights

  • सिक्किम में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर देश में अब लोगों का गुस्सा फूटने लगा है
  • चीनी सेना की घुसपैठ के खिलाफ पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में चीनी सामानों को लोगों ने जलाना शुरू कर दिया है

नई दिल्ली:

सिक्किम में भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर देश में अब लोगों का गुस्सा फूटने लगा है। चीनी सेना की घुसपैठ के खिलाफ पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में चीनी सामानों को लोगों ने जलाना शुरू कर दिया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक आमरा बंगाली नाम के संगठन ने डाकोला मुद्दे पर चीन के अड़ियल रवैये का विरोध करते हुए चीनी सामानों को जलाया है। गौरतलब है कि पिछले एक महीने से अधिक समय से भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है।

इस बीच चीनी मीडिया लगातार भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी कर रहा है। चीन का सरकारी मीडिया कई मौके पर भारत के खिलाफ युद्ध की धमकी तक दे चुका है। चीन के राजदूत ने सीमा विवाद के मामले में गेंद भारत के पाले में डालते हुए कहा था, 'नई दिल्ली को तय करना है कि अब वह चीन के साथ युद्ध चाहता है शांति।'

चीन इससे पहले भी भारतीय सीमा में घुसपैठ कर चुका है, जिसे लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। हालांकि यह पहली बार हुआ है जब चीनी सामानों को जलाया गया है। शिव सेना चीनी सामानों का बहिष्कार करने की अपील कर चुकी है।

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गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही ग्लोबल टाइम्स ने चीनी कंपनियों को भारत में बढ़ रहे चीन विरोधी भावना से सतर्क रहने को लेकर आगाह किया था। आर्टिकल में चीनी कंपनियों को भारत में अपना निवेश घटाने के लिए कहा गया था।

भारत में रिटेल और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में चीनी कंपनियों का बोलबाला है।

अखबार में कहा गया था, 'भारत में काम कर रही चीनी कंपनियों को सतर्क रहने की जरूरत है। इन कंपनियों को चीन विरोधी भावनाओं से निपटने के लिए ऐहतियातन उपाय करने चाहिए।'

अखबार में लिखा गया था, 'हालांकि भारत एक संभावित बाजार है लेकिन चीन के निवेशकों को फिलहाल देखो और इंतजार करने की नीति अपनानी चाहिए। इस संदर्भ में आने वाले दिनों में भारत में चीन की तरफ से होने वाले निवेश में कमी आने की संभावना है।' 2015 तक भारत में चीनी कंपनियों का निवेश 3.55 अरब डॉलर रहा है।

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