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हम कांग्रेस से मिलना ही नहीं चाहते, हमें मजबूर न करें, SC में बोले बागी विधायकों के वकील

मनिंदर सिंह ने कहा कि इस्तीफा देना किसी विधायक का अधिकार है. हमने वैचारिक मतभेद के चलते इस्तीफे दिए हैं. क्या कोर्ट इस तह में जा सकता है कि हमने इस्तीफे क्यों दिए. सवाल ये है कि क्या इस्तीफे पर फैसले को लेकर स्पीकर सेलेक्टिव हो सकते हैं.

Updated on: 18 Mar 2020, 03:37 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस के बागी 22 विधायकों के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सभी 22 विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि वो अपनी मर्जी से इस्तीफा दे रहे है. उन्होंने बकायदा हलफनामा दाखिल किए है. हम सबूत के तौर पर कोर्ट में सीडी जमा करने के लिए तैयार है. उन्होंने कोर्ट से कहा कि जब हम भोपाल में आकर कांग्रेस से मिलना ही नहीं चाहते हैं तो हमें इसके लिए कैसे मजबूर नहीं किया जा सकता है.

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मनिंदर सिंह ने कहा कि इस्तीफा देना किसी विधायक का अधिकार है. हमने वैचारिक मतभेद के चलते इस्तीफे दिए हैं. क्या कोर्ट इस तह में जा सकता है कि हमने इस्तीफे क्यों दिए. सवाल ये है कि क्या इस्तीफे पर फैसले को लेकर स्पीकर सेलेक्टिव हो सकते हैं. क्या वो कह सकते हैं कि वो कुछ पर फैसला लेंगे और कुछ इस्तीफे पर नहीं लेंगे. मनिंदर सिंह ने कहा कि कोर्ट स्पीकर को निर्देश दे कि वो इस्तीफे को स्वीकार करें. ये सरकार बहुमत खो चुकी है. तुरंत फ्लोर टेस्ट होना चाहिए.

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इससे पहले मुकुल रोहतगी ने कहा में कहा कि कोर्ट की संतुष्टि के लिए इन विधायकों की जज के चैम्बर में परेड कराई जा सकती है. कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल उनसे मिलकर वीडियो बना सकते हैं. हालांकि जजों ने इससे इनकार किया. रोहतगी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे गवर्नर लालजी टंडन के खत का हवाला देते हुए कहा कि गवर्नर ने इस खत में साफ किया है कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है.