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विवेक डोभाल मानहानि केस : जयराम रमेश को मिली छूट, परेश नाथ और कौशल श्रॉफ को जमानत

विवेक डोभाल मानहानि केस : जयराम रमेश को मिली छूट, परेश नाथ और कौशल श्रॉफ को जमानत

Updated on: 25 Apr 2019, 11:47 AM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल के मानहानि मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने 'कारवां' पत्रिका के संपादक परेश नाथ और कौशल श्रॉफ को जमानत दे दी. इसके साथ ही अदालत ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश को अदालत में निजी तौर पर उपस्थित नहीं रहने की छूट भी दी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी. यह मामला 'कारवां' पत्रिका में छपे उस लेख से जुड़ा है जिसमें विवेक डोभाल पर केमन आइलैंड में हेज फंड चलाने का आरोप लगाया गया था.

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इससे पहले एनएसए अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल द्वारा पत्रिका 'कारवां' तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश के खिलाफ दायर मानहानि केस में दो गवाहों ने विवेक के समर्थन में कोर्ट में बयान दर्ज कराए थे. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जयराम रमेश, पत्रिका संपादक और रिपोर्टर को समन जारी किया था. कोर्ट ने तीनों को बतौर आरोपी 25 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया था.

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आज सुनवाई के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता के वकील में उन्हें पेश होने में छूट देने की दरख्वास्त की. रिबेका जॉन परेश नाथ की ओर से अदालत में उपस्थित हुई थीं. इस पर अदालत ने जयराम रमेश को सिर्फ गुरुवार को अदालत में पेश नहीं होने की छूट दे दी. इसके साथ ही कारवां पत्रिका के संपादक परेश नाथ और कौशल श्रॉफ को 20 हजार रुपए के निजी मुचलके और एक लाख की गारंटी पर जमानत दे दी.

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पत्रिका पर कथित अपमानजनक लेख प्रकाशित करने तथा रमेश पर उस आलेख का इस्तेमाल करने का आरोप है. 'कारवां के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि केस में विवेक के दोस्त निखिल कपूर तथा बिजनेस पार्टनर अमित शर्मा ने उनके समर्थन में अपने बयान दर्ज कराए थे. इसके पहले विवेक ने 30 जनवरी को दर्ज कराए अपने बयान में कहा था कि पत्रिका द्वारा लगाए गए सारे आरोप 'बेबुनियाद' तथा 'झूठे' हैं, जिन्हें बाद में कांग्रेसी नेता रमेश ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस में दोहराए थे. इससे उनके पारिवारिक सदस्यों तथा कारोबारी सहयोगियों के बीच उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है.

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बता दें कि कि 'कारवां' ने 16 जनवरी को 'द डी कंपनीज' शीर्षक से प्रकाशित ऑनलाइन आलेख में कहा था कि विवेक डोभाल 'केमन आइलैंड में हेज फंड' चलाते हैं, जो एक स्थापित टैक्स हैवन है और इसका पंजीयन नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में घोषित नोटबंदी के महज 13 दिन बाद हुआ था.