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वीर सावरकर के पोते रंजीत ने कहा- उद्धव ठाकरे हिंदुत्व को लेकर कांग्रेस की सोच में करेंगे बदलाव

वीर सावरकर के पोते रंजीत ने शुक्रवार को कहा है कि जहां तक वे उद्धव ठाकरे को जानते हैं वे (उद्धव) सत्ता के लिए अपनी हिंदुत्व की विचारधारा और वीर सावरकर को भारत रत्न दिलाने की मांग से समझौता नहीं करेंगे.

Updated on: 15 Nov 2019, 05:36 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv sena) ने सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाया है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेता कल यानी शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात करेंगे. जानकारी के मुताबिक पहली बार एक साथ तीनो पार्टी के नेता राज्यपाल से मुलाकात करेंगे. इस बीच वीर सावरकर के पोते रंजीत ने कहा कि उम्मीद है कि हिंदुत्व पर कांग्रेस की सोच में शिवसेना बदलाव करेगी.

वीर सावरकर (Veer Savarkar) के पोते रंजीत (Ranjeet) ने शुक्रवार को कहा है कि जहां तक वे उद्धव ठाकरे को जानते हैं वे (उद्धव) सत्ता के लिए अपनी हिंदुत्व की विचारधारा और वीर सावरकर को भारत रत्न दिलाने की मांग से समझौता नहीं करेंगे. रंजीत ने इसके साथ ही कहा कि उन्हें भरोसा है कि हिंदुत्व पर कांग्रेस की सोच में शिवसेना बदलाव करेगी.

बता दें कि एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) के साथ शिवसेना की बातचीत में जो फार्मूला अभी तय हुआ है, उसके अनुसार महाराष्‍ट्र में पूरे पांच साल के लिए शिवसेना का ही मुख्‍यमंत्री होगा. एनसीपी और कांग्रेस की ओर से दो डिप्‍टी सीएम (Deputy Chief Minister) होंगे. सूत्रों की ओर से जो खबर आई है, उसके अनुसार, शिवसेना और एनसीपी के बराबर-बराबर 14-14 तो कांग्रेस के 12 विधायकों को मंत्री पद का ओहदा दिया जाएगा. तीनों दलों के बीच न्‍यूनतम साझा कार्यक्रम पर सहमति बन गई है. तय फॉर्मूले के अनुसार, महाराष्‍ट्र का गृह मंत्रालय (Home Ministry) शरद पवार (Sharad Pawar) की पार्टी राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को मिलेगा तो विधानसभा अध्‍यक्ष कांगेस के होंगे.

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हालांकि, अब तक यह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया है कि महाराष्‍ट्र का अगला मुख्‍यमंत्री कौन होगा. शिवसेना की ओर से आदित्‍य ठाकरे को राज्‍य के अगले मुख्‍यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्‍ट किया जा रहा है, लेकिन इसकी उम्‍मीद कम है कि आदित्‍य ठाकरे के नाम पर एनसीपी और कांग्रेस राजी हो जाएं. इस कारण हो सकता है कि शिवसेना को उद्धव ठाकरे को मुख्‍यमंत्री बनाना पड़े. इससे पहले एनसीपी की ओर से ढाई-ढाई साल के मुख्‍यमंत्री पद की मांग की गई थी