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इस शिक्षक ने पीएम मोदी का पूरा किया 'सपना', अपने पैसों से स्कूल में बनवाए ...

सरकारी स्कूल के अध्यापक सुनील कुमार दीक्षित ने अपनी सैलरी से 400 छात्राओं के लिए 5 टॉयलेट्स बनवाकर एक अनोखी मिसाल पेश की है.

Updated on: 23 Aug 2019, 09:28 PM

highlights

  • शिक्षक सुनील दीक्षित ने PM मोदी के सपनो को दिए पंख
  • स्कूल में अपने वेतन से छात्राओं के लिए बनवाए शौचालय
  • बुलंदशहर के डीएम ने शिक्षक के प्रयासों की सराहना की

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat mission) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao, Beti Padhao) अभियान से प्रेरित होकर बुलंद शहर के एक शिक्षक सुनील कुमार दीक्षित ने इस मुहीम को आगे बढ़ाते हुए अपने विद्यालय में 400 छात्राओं के लिए 5 टॉयलेट्स बनवाए आपको जानकर हैरत होगी कि ये टॉयलेट्स किसी सरकारी खर्च पर नहीं बल्कि सुनील कुमार दीक्षित (Sunil Kumar Dixit) के वेतन से बनवाए गए हैं. आपको बता दें कि भारत सरकार ने पिछले कई सालों से स्वच्छता अभियान पर विशेष जोर दिया हुआ है लेकिन सरकार के भरसक प्रयासों के बावजूद कई विद्यालयों में अभी भी शौचालयों की स्थिति बेहतर नहीं हो पाई है.

ऐसे में सुनील कुमार जैसे शिक्षकों के ऐसे प्रयासों से न सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के स्वच्छता अभियान को तेजी मिलेगी बल्कि समाज में हर व्यक्ति यह सोचने पर मजबूर हो गया है कि हर बात की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं होती. बुलंदशहर (Bulandshahr) के खानपुर क्षेत्र में लढ़ाना गांव के सरकारी स्कूल के अध्यापक सुनील कुमार दीक्षित ने अपनी सैलरी से 400 छात्राओं के लिए 5 टॉयलेट्स बनवाकर एक अनोखी मिसाल पेश की है.

आज भी 20,977 सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं
केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि अभी भी देश के 20,977 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्राओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं. जनसंख्या के आधार पर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां छात्राओं के लिए 1, 2 या 4 शौचालय नहीं बल्कि 5 शौचालय हैं और बड़ी बात ये कि ये शौचालय सरकार ने नहीं बल्कि उसी स्कूल के अध्यापक सुनील कुमार दीक्षित ने अपने वेतन से बनवाए हैं. दीक्षित का मानना है कि 'स्वच्छता' पूरे समाज की जिम्मेदारी है न कि केवल सरकार की.

400 लड़कियों के सिर्फ एक शौचालय था
दरअसल, इस स्कूल में करीब 800 छात्र-छात्रा पढ़ते हैं. इनमें करीब 400 लड़कियां हैं, जिनके लिए स्कूल में अलग से बस एक शौचालय था. लंच ब्रेक के दौरान इस शौचालय के आगे छात्राओं की लंबी लाइन लगती थी. लड़कियों की दिक्कतें कहीं ज्यादा थी. कुछ तो शौचालय जा ही नहीं पाती थीं तो कुछ इस समस्या के चलते स्कूल आने से भी कतराती थीं. शौचालय में गंदगी और बदबू इतनी कि छात्राओं को उल्टी तक आ जाती थी. यहीं नहीं इसके चलते कई छात्राएं बीमार भी हो जाती थी.

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अध्यापक सुनील दीक्षित ने अपने वेतन से बनवाए शौचालय
विद्याल के अध्यापक सुनील कुमार दीक्षित ने अपने वेतन से करीब 80 हजार रुपए इस नेक मुहिम में दान देने का फैसला लिया. दीक्षित ने इस 15 अगस्त से पहले स्कूली लड़कियों को गंदगी से आजादी दिलाने का जो सपना देखा था उसे पूरा किया और स्कूल में अपने वेतन से छात्राओं के लिए 5 शौचालय बनवाए. इन शौचायलों में साफ-सफाई और पानी का बंदोबस्त किया गया है ताकि छात्राओं को किसी तरह की समस्या ना हों. सुनील कुमार दीक्षित का मानना है कि देश की बेटियां तभी बढ़ेंगी जब उन्हें बराबर के मौके और बेहतर माहौल मिल सके.

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बुलंदशहर के डीएम ने अध्यापक की पहल को सराहा
बुलंदशहर के डीएम ने अध्यापक सुनील कुमार दीक्षित की इस पहल को सराहते हुए सोशल मीडिया पर लिखा. डीएम रविंद्र कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'एक शिक्षक के जज्बे को सलाम, जिन्होंने अपने तनख्वाह से महिला शौचालय बनवाया.' बुलंदशहर के इस स्कूल में बदलाव का असर दिखाई देना भी शुरू हो चुका है. शौचालय ना होने के चलते घर बैठने वाली छात्राएं अब नियमित स्कूल आ रही हैं. हाल ही में इसका उद्धाटन जिला विद्यालय निरीक्षक आरके तिवारी ने किया है. इसके अलावा सुनील कुमार दीक्षित ने सभी कक्षाओं में पंखे लगवाने की पहल भी की है ताकि स्कूली छात्रों को गर्मी से भी निजात दिलवाई जा सके.

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