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हापुड़ भीड़ हिंसा मामले में कोई धार्मिक एंगल या साजिश नहीं, यूपी पुलिस का SC में हलफनामा

उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि हापुड़ में भीड़ की हिंसा के मामले में धार्मिक एंगल या फिर साजिश जैसी कोई बात नहीं थी.

Updated on: 28 May 2019, 08:22 PM

highlights

  • सर्वोच्च न्यायालय में यूपी पुलिस ने दाखिल किया हलफनामा.
  • साजिश की बात या हिंसा के पीछे धार्मिक कारण से इंकार.
  • युपी पुलिस की तफ्तीश को निष्पक्ष और स्वतंत्र बताया.

नई दिल्ली.:

उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि हापुड़ (Hapur Violence) में भीड़ की हिंसा के मामले में धार्मिक एंगल या फिर साजिश जैसी कोई बात नहीं थी.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में हापुड़ एसपी युद्धवीर सिंह की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि ऐसा कोई दस्तावेज या फिर बयान सामने नहीं आया है, जिससे यह साबित हो कि धार्मिक भावनाओं के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया.

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निचली अदालत में दाखिल चार्जशीट सही
यही नहीं, निचली अदालत (Lower Court) में दाखिल चार्जशीट को सही ठहराते हुए यूपी पुलिस ने कहा कि जांच में साजिश (Conspiracy) की कोई बात सामने नहीं आने के चलते ही चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की धारा को शामिल नहीं किया गया. हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई है कि सर्किल ऑफिसर और दो इंस्पेक्टर के खिलाफ चल रही विभागीय जांच (Departmental Enquiry) को भी बंद कर दिया गया है, क्योंकि उनकी किसी तरह से कोई गलती होने की बात साबित नहीं हुई है. इन पुलिस वालो पर आरोप था कि उन्होंने इस मामले को रोड रेज की शक्ल देने की कोशिश की.

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मामला क्या था

पिछले साल जून में हापुड़ जिले के मदापुर गांव में कथित गोहत्या (Cow Slaughter) के आरोप में भीड़ ने दो लोगों की निर्मम पिटाई की थी. इस घटना में मोहम्मद क़ासिम की मौत हो गई थी और मोहम्मद समीउद्दीन बुरी तरह जख़्मी हो गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मोहम्मद समीउद्दीन ने कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में यूपी पुलिस की तफ्तीश पर भी सवाल उठाए गए थे.

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जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष रही
इस हलफनामे (Affidavit) में यूपी पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी इस मामले में जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष रही है. आरोपियों को बचाने की कोई कोशिश नहीं हुई है. अगर आरोपियों को पुलिस के विरोध के बावजूद ज़मानत मिली है, तो यह ट्रायल कोर्ट का विशेषाधिकार है. इसमें कोई रोल पुलिस का नहीं है.

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सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

जस्टिस रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए एसआईटी जांच (SIT) को लेकर यूपी पुलिस को कोई निर्देश देने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हापुड़ में ट्रायल (Trial) शुरू हो चुका है. लिहाजा याचिकाकर्ता मोहम्मद समीउद्दीन जांच को लेकर अपनी आपत्तियों को वहां रख सकते हैं.