उन्नाव रेप केस : पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत सभी दोषियों को 10 साल कैद की सजा
उत्तर प्रदेश के चर्चित उन्नाव बलात्कार मामले (Unnao rape case) की पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दिल्ली की कोर्ट ने दोषी पूर्व MLA कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) समेत सभी दोषियों को 10 साल कैद की सजा सुनाई है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के चर्चित उन्नाव बलात्कार मामले (Unnao rape case) की पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दिल्ली की कोर्ट ने दोषी पूर्व MLA कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) समेत सभी दोषियों को 10 साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई को 10-10 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर पीड़िता के परिवार को देने होंगे. एक दिन पहले इस मामले में सजा पर जिरह करते हुए कुलदीप सिंह सेंगर ने कहा था, 'अदालत उन्हें इंसाफ दे और अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाए, उनकी आंखों में तेजाब डाल दिया जाए.' रेप के मामले में पहले ही उम्र कैद की सजा काट रहे सेंगर को पीड़ित लड़की की पिता की मौत के मामले में भी कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या का दोषी माना है.
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गुरुवार को कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा सजा पर रियायत मांगे जाने पर कोर्ट ने कहा, उन्हें परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास तब होना चाहिए था, जब वो लगातार कानून तोड़ रहे थे. कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस अधिकारियों ने पब्लिक सर्वेंट होने के नाते कानून व्यवस्था कायम रखने की जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया और पीड़ित शख्स को समय पर इलाज उपलब्ध नहीं कराया, जिससे उनकी मौत हो गई.
रेप के मामले में सजा होने के बाद बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई थी. उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने इस बारे में दिसंबर में अधिसूचना जारी की थी. इस बारे में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रासद मौर्य ने कहा कि कानून ने अपना काम किया. सजायाफ्ता के साथ जो होना चाहिए, वो हुआ है. मौर्य ने कहा कि विपक्ष के कहने से कुछ नहीं होता है.
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उन्नाव रेप केस में दिल्ली की अदालत ने 20 दिसंबर 2019 को कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा के साथ सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इससे पहले सेंगर को भारतीय दंड संहिता (IPC-भादंसं) के तहत दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत किसी लोकसेवक द्वारा किसी बच्ची के खिलाफ यौन हमला किए जाने के अपराध का दोषी ठहराया था.
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