PMFBY से नहीं मिल रहा किसानों को फायदा, कंपनियों ने नहीं चुकाया 2800 करोड़ रुपये, RTI में खुलासा
PMFBY: मोदी सरकार ने जनवरी 2016 में प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (PMFBY) की घोषणा की. घोषणा के वक़्त कहा गया था कि यह योजना पिछली सरकार से अलग है क्योंकि अब किसानों को समय पर क्लेम (भुगतान राशि) दी जाएगी.
नई दिल्ली:
मोदी सरकार ने जनवरी 2016 में प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (PMFBY) की घोषणा की. घोषणा के वक़्त कहा गया था कि यह योजना पिछली सरकार से अलग है क्योंकि अब किसानों को समय पर क्लेम (भुगतान राशि) दी जाएगी. हालांकि एक RTI (सूचना का अधिकार) में ख़ुलासा हुआ है कि बीमा कंपनियों ने अब तक दो सीज़न के फ़सल बीमा की (2,829 रुपये की) राशि का भुगतान किसानों को नहीं दिया है. कृषि मंत्रालय द्वारा 10 अक्टूबर को दिए गये जवाब में इस बात की जानकारी मिली है. बता दें कि अंग्रेज़ी न्यूज़ नेवसाइट 'द वायर' ने इस संबंध में एक RTI दाख़िल किया था.
जवाब के मुताबिक़ , 'साल 2017-18 का ज़्य्दातर क्लेम अभी भी कंपनियों द्वारा मंज़ूर नहीं किया गया है. साल 2017-18 में भुगतान किए गए दावों में 99 प्रतिशत हिस्सा पिछले साल के खरीफ़ सीजन का है जबकि सिर्फ एक प्रतिशत हिस्सा रबी सीजन का है.'
वहीं 2016-17 वर्ष के लिए किसानों द्वारा 546 करोड़ रुपये की फ़सल बीमा क्लेम की गई थी लेकिन कंपनियों ने अब तक उसका भुगतान नहीं किया गया था. जबकि योजना की शुरुआत में PMFBY द्वारा जारी किए गए गाइडलाइन के मुताबिक़ किसानों को दो महीने के अंदर क्लेम की गई बीमा राशि मिल जानी चाहिए. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दिशानिर्देशों के मुताबिक फसल कटने के दो महीने के भीतर दावों का भुगतान किया जाना चाहिए. हाल ही में सरकार ने ये भी घोषणा किया है कि अगर दावा भुगतान में देरी होती है तो बीमा कंपनियों पर 12 प्रतिशत का जुर्माना लगाया जाएगा.
साल 2017-18 के लिए बीमा क्लेम की राशि 2,282 करोड़ है जिसका अब तक भुगतान नहीं हुआ है. साल 2016-17 और साल 2017-18 के लिए किसानों द्वारा संभावित क्लेम की राशि 34,441 करोड़ रुपये की है. 2017-18 के रबी सीजन को गुज़रे भी चार महीने हो चुके हैं, लेकिन बीते 10 अक्टूबर तक सरकार द्वारा किसानों का दावा अनुमानित/स्वीकृत नहीं किया गया था. वहीं साल 2016 के खरीफ और रबी दोनों सीजन को बीते एक साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अब तक लगभग 500 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान नहीं हुआ है.
बीमा कंपनियों ने अब तक 31,612 करोड़ रुपये की राशि का ही भुगतान किया है और 2,829 करोड़ की राशि अब भी किसानों को दी जानी है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रिलायंस, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, बजाज, इफ्को जैसी बड़ी निजी कंपनियां और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया (एआईसी), न्यू इंडिया जैसी सरकारी कंपनियां किसानों के लिए फ़सल बीमा करती है.
भुगतान करने के ममाले में सरकारी कंपनी निजी कंपनी से ज़्यादा लेट-लतीफ़ है. एआईसी ने दो सालों में किसानों को 1,054 करोड़ रुपये के दावे का भुगतान नहीं किया है जबकि निजी कंपनी एचडीएफसी ने 300 करोड़, आईसीआईसीआई ने 260 करोड़ और बजाज ने किसानों के 100 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है.
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एआईसी ने साल 2017-18 के अपने फाइनेंशियल रिपोर्ट में बताया है कि उन्हें फसल बीमा से एक साल में 703 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है.
किसानों का आरोप, फ़सल बर्बादी की तुलना में कम मिल रहा है बीमा
बीमा योजना को लेकर किसानों की शिकायत यह है कि फसल बर्बादी की तुलना में क्लेम यानी कि दावा कम मिलता है और समय पर भुगतान भी नहीं होता है. खरीफ सीजन के कटाई का महीना नवंबर-दिसंबर के बीच रहता है. यानी कि साल 2017 के खरीफ सीजन बीते दस महीने से ज्यादा का वक़्त हो गया है लेकिन अभी तक लगभग 2,200 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किसानों को नहीं किया गया है.
तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी अब तक बीमा कंपनियों ने काफी कम क्लेम का ही भुगतान किया है. साल 2017-18 में हिमाचल प्रदेश के किसानों के अनुमानित दावे की तुलना में सिर्फ 8.5 प्रतिशत राशि का भुगतान हुआ है. तमिलनाडु में भी साल 2017-18 के अनुमानित दावे का सिर्फ 13.83 प्रतिशत दावे का भुगतान किया गया है.
तमिलनाडु में कंपनियों द्वारा 144 करोड़ का अनुमानित दावा तय किया गया था. इसमें से अभी तक सिर्फ 20 करोड़ रुपये का ही भुगतान हुआ है.
जबकि महाराष्ट्र में एचडीएफसी और बजाज जैसी निजी कंपनियों का प्रदर्शन बहुत खराब है. यहां साल 2017 में एचडीएफसी ने अनुमानित दावे का महज़ 20 प्रतिशत और बजाज ने अनुमानित दावे का केवल 24 प्रतिशत राशि का भुगतान किया है.
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