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उद्धव ठाकरे ने फिलहाल ली राहत की सांस, कांग्रेस मान-मनौव्वल के बाद मानी

डिप्टी सीएम पर कांग्रेस-एनसीपी के बीच फंसा पेंच दूर हो गया है. साथ ही महत्वपूर्ण मंत्रालयों के बंटवारे पर भी लगभग सहमति बन गई है.

Updated on: 30 Nov 2019, 12:36 PM

highlights

  • कांग्रेस ने डिप्टी सीएम पद की जिद छोड़ी, स्पीकर पर राजी.
  • गठबंधन के नेताओं की बैठक में सरकार का फॉर्मूला भी तय.
  • हालांकि कुछ विभागों पर पेंच अभी भी अटका.

Mumbai:

महाराष्ट्र का सियासी नाटक अब तमाम उतार-चढ़ावों के बीच पटाक्षेप की ओर बढ़ रहा है. डिप्टी सीएम पर कांग्रेस-एनसीपी के बीच फंसा पेंच दूर हो गया है. साथ ही महत्वपूर्ण मंत्रालयों के बंटवारे पर भी लगभग सहमति बन गई है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस स्पीकर पद के लिए राजी हो गई है. इस तरह एनसीपी के डिप्टी सीएम की राह साफ हो गई है. इसके पहले कांग्रेस-एनसीपी के बीच कई अहम मसलों पर बात अटकी हुई थी. शिवसेना को समर्थन दे रहे दोनों दलों के बीच मंत्रालयों के बंटवारे पर एक राय नहीं बनने से गुरुवार को मुख्यमंत्री बतौर शपथ लेने वाले उद्धव ठाकरे की पेशानी पर बल पड़े हुए थे.

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गठबंधन नेताओं की बैठक में बनी बात
फिलवक्त सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि महाराष्ट्र विधान भवन में फ्लोर टेस्ट से पहले गठबंधन सरकार के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई गई थी. इसमें फ्लोर टेस्ट के अलावा रार बने अन्य मसलों पर भी चर्चा हुई. इसमें डिप्टी सीएम, स्पीकर पद के अलावा महत्वपूर्ण मंत्रालयों के बंटवारे पर भी चर्चा हुई. कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर पद को स्वीकार कर लिया और वरिष्ठ विधायक नाना पटोले का नाम भी प्रस्तावित कर दिया. इस बीच बीजेपी ने भी किसन कठोरे का नाम स्पीकर उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया है.

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मलाईदार विभागों पर भी नाम तय
सूत्रों के मुताबिक नवनिर्वाचित सरकार का फॉर्मूला भी तय हो गया है. इसके तहत कांग्रेस को राजस्व, पीडब्लूडी और आबकारी विभाग मिल सकता है, जबकि एनसीपी के खाते में गृह, वित्त, पर्यावरण और वन मंत्रालय जा सकता है. मुख्यमंत्री पद के अलावा शिवसेना के बाद शहरी विकास, आवास, सिंचाई, परिवहन मिल सकता है. हालांकि अभी शिक्षा और उद्योग से जुड़े मंत्रालयों पर सहमति नहीं बन पाई है. हालांकि, माना जा रहा है कि एक-दो दिन में एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना के नेता मंत्रालयों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय ले लेंगे. फिलहाल, आज बहुमत परीक्षण होगा. इसके बाद कैबिनेट का विस्तार होगा. उसके बाद ही मंत्रालयों का बंटवारा हो सकेगा. शरद पवार इसीलिए चरणबद्ध तरीके से एक के बाद एक मसलों को सुलझा रहे हैं.