'बेमेल शादी' के 'बेमेल बारातियों' से भरा नजर आया उद्धव ठाकरे का शपथ ग्रहण
शिवाजी पार्क में सूबे के मुख्यमंत्री बतौर उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में मंच से लेकर समारोह में आए मेहमान तक इस 'बेमेल शादी' के 'बेमेल बाराती' ही अधिक नजर आए.
highlights
- एक-दूसरे को कोसने वाले दल महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में आए एक साथ.
- छगन भुजबल ने तो दलित विरोधी का आरोप लगा छोड़ी थी शिवसेना.
- कांग्रेस जिंदगी भर शिवसेना को 'खतरा' बताती रही, लेकिन दिया समर्थन.
Mumbai:
महाराष्ट्र की सियासत में धुर विरोधी पार्टियों की ऐसी जुगलबंदी शायद ही कहीं देखने में आए. एक-दूसरे को कोस-कोस कर अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन पुख्ता करने वाले विपरीत विचारधारा के लोग सरकार गठन पर साथ आते हैं. जीवन भर दो विपरीत ध्रुवों की राजनीति करने के बाद एक बिंदू पर आकर मिलना राजनीतिक पंडितों के लिए फिलहाल अबूझ पहेली है. फिलवक्त इसे 'सत्ता लौलुपता' करार दिया जा रहा है. खैर, शिवाजी पार्क में सूबे के मुख्यमंत्री बतौर उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में मंच से लेकर समारोह में आए मेहमान तक इस 'बेमेल शादी' के 'बेमेल बाराती' ही अधिक नजर आए.
मोदी के करीबी मुकेश अंबानी
सबसे पहले बात करते हैं देश के शीर्ष उद्योगपति मुकेश अंबानी की. वह अपनी पत्नी नीता अंबानी और बेटे आकाश के साथ शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने पहुंचे. उन्होंने उद्धव ठाकरे को बधाई दी और कई कांग्रेसी और शिवसेना के नेताओं से बेहद गर्मजोशी से मुलाकात की. यह अपने आप में अजीब इसलिए लगा क्योंकि कांग्रेस अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी अंबानी परिवार से नजदीकियों को लेकर निशाने पर लेती आई है. आज वही कांग्रेस उनके साथ मंच साझा कर रही थी.
यह भी पढ़ेंः उद्धव ठाकरे ने अंतत: किया बालासाहबे के सपने को साकार, बने महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री
देवेंद्र भी मन मार कर पहुंचे होंगे
भले ही शिवसेना के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाने और फिर उसे सफलतापूर्वक पांच साल चलाने वाले देवेंद्र फडणवीस भी उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे. हालांकि इसे राजनीतिक सदाचार माना जा सकता है कि भूतपूर्व सीएम बतौर ही उन्होंने शिरकत की. हालांकि इसे कोई नहीं भूला होगा कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव देवेंद्र फडणवीस ने हमेशा से शिवसेना से अलग होकर चुनावी समर में उतरने का पक्ष लिया.
बाला साहेब को छोड़ने वाले राज भी आए
फिर दूसरा नाम आता है महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे का. बाला साहेब के जीवित रहते उद्धव ठाकरे को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित किए जाने पर विरोध स्वरूप शिवसेना से किनारा करने वाले राज ठाकरे की मंच पर उपस्थिति एक लिहाज से सुखद और चौंकाने वाली रही. बताते हैं कि उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को दिन में खुद फोन कर राज ठाकरे को शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया था. पारिवारिक सूत्र बताते हैं कि राज ने ठाकरे परिवार से पहले मुख्यमंत्री बनने पर उद्धव को दिल से बधाई भी दी.
यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र की सड़कों पर कभी सब्जी बेचते थे ये नेता, उद्धव ठाकरे सरकार में बने मंत्री
शिवसेना को ब्राह्मणवादी पार्टी कह छोड़ गए थे छगन भुजबल
इसी तरह छगन भुजबल को खांटी शिवसैनिक कैसे पचा रहे होंगे, यह संभवतः वही जानते होंगे. नब्बे के दशक के शुरुआत या उसके आसपास बाला साहब पर ब्राह्मणवादी होने का आरोप लगा कर छगन भुजबल ने शिवसेना छोड़ एनसीपी का दामन थामा था. उस वक्त उनका एक बड़ा आरोप शिवसेना पर दलित विरोधी होने का था. उन्होंने कहा था कि शिवसेना की जितनी भी आनुषांगिक ईकाईयां हैं, उन सभी पर ब्राह्मण ही विराजमान है. आज वही शिवसेना के नेतृत्व में बनी उद्धव ठाकरे की सरकार में मंत्री हैं.
शिवसेना को पानी पी-पी कर कोसने वाली कांग्रेस ने तो दिया समर्थन
कांग्रेस की तो बात ही निराली है. भीतरखाने के सूत्र ही इसकी असल वजह बता सकते हैं कि आखिर किस मजबूरी में कांग्रेस ने इस गठबंधन को समर्थन दिया. 'बीजेपी देश में भय फैला रही है' या 'लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा' है जैसे जुमले कानों को बस अच्छे भर लगते हैं. शिवसेना के खिलाफ ही आठ बार चुनाव लड़कर जीते और पानी पी-पी कर शिवसेना को कोसने वाले बालासाहब थोराट भी शिवसेना के पहले मुख्यमंत्री उद्धव की सरकार में मंत्री हैं. यही बात नितिन राउत के बारे में कही जा सकती हैं. जिंदगी भर शिवसेना के विरोध में राजनीति करने वाले महाराष्ट्र के ये दिग्गज कांग्रेसी गुरुवार को 'इतिहास' रच रहे थे.
यह भी पढ़ेंः उद्धव ठाकरे बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, 6 मंत्रियों ने भी ली शपथ, देखें तस्वीरों में शपथ ग्रहण समारोह
ये भी बने बेमेल बाराती
शिवसेना की हिंदुत्व प्रधान छवि को कोस कर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को एक पंथनिरपेक्ष और उदारवादी दल का खिताब दिलाने वाले अहमद पटेल और कपिल सिब्बल भी शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मंच को 'सुशोभित' कर रहे थे. ये वे चंद नाम भर हैं जिन्होंने शिवसेना के खिलाफ ही सूबे की राजनीतिक लड़ाई लड़ी. शिवसेना ने भी इन्हें चुनाव के दौरान 'तारने' में कोई कसर नहीं छोड़ी. डीएमके के एमके स्टालिन भी शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहे, जिनकी राजनीतिक विचारधारा शुरू से स्पष्ट थी, ना जानें क्यों महाराष्ट्र में वह धुंधली पड़ती नजर आई.
क्या होगा तलाक
खैर, अब देखने वाली बात तो यह होगी कि 'बेमेल बारातियों' की मौजूदगी में हुई 'बेमेल शादी' सात जन्मों (यहां 5 साल पढ़ें) तक चलती है या फिर उसमें 'तलाक' हो जाएगा क्योंकि आचार-व्यवहार और नीति के मसले पर कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना में कतई कोई मेल नहीं है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य