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उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल विस्तारः कभी कट्टर आलोचक रहे चव्हाण-ठाकरे, अब हाथ मिलाते नजर आए

ठाकरे मंत्रिमंडल का विस्तार इस लिहाज से भी अनूठा कहा जाएगा कि खांटी कांग्रेसी अशोक चव्हाण ने शिवसेना की सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.

Updated on: 30 Dec 2019, 05:19 PM

highlights

  • खांटी कांग्रेसी अशोक चव्हाण ने शिवसेना की सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.
  • यह महाराष्ट्र की राजनीति में पश्चिम में सूरज के उदय होने जैसा है.
  • आदर्श घोटाले मामले में अशोक चव्हाण पर तीखे हमले शिवसेना ने ही किए थे.

मुंबई:

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल के बहुप्रतिक्षित विस्तार पर काफी कुछ पहली बार सामने आया. सूबे में पहली बार पिता की सरकार में बेटा कैबिनेट मंत्री बना है, तो पहली बार कांग्रेस के साथ शिवसेना साझेदारी सरकार पर काम कर रही है. पहली बार ही ऐसा भी हो रहा है कि शिवसेना में विस्तार के बाद पार्टी के भीतर से ही असंतोष के सुर सामने आए हैं. इस हद तक कि खुद राज्यसभा सदस्य संजय राउत का सामने आकर कहना पड़ा कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनके भाई सुनील राउत को जगह नहीं मिलने से उनके और शिवसेना के बीच किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है.

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32 दिनों बाद मंत्रिमंडल विस्तार
कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 32 दिनों बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है. सरकार में शामिल किए गए 36 मंत्रियों में से एक आदित्य ठाकरे भी हैं. 29 साल के आदित्य चुनाव लड़ने वाले ठाकरे परिवार के न सिर्फ पहले सदस्य हैं, बल्कि इस मामले में भी वह पहले सुपुत्र हैं, जो पिता की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. उन्हें पीएमओ की तर्ज पर बनाए जा रहे सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) का कार्यभार सौंपा जा सकता है. माना जा रहा है कि भविष्य के लिहाज से बतौर राजनेता उन्हें तैयार करने के लिए सीएमओ विभाग का गठन किया जाएगा.

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आदर्श घोटाले की फजीहत भुला मंत्री बने अशोक चव्हाण
इसके अलावा ठाकरे मंत्रिमंडल का विस्तार इस लिहाज से भी अनूठा कहा जाएगा कि खांटी कांग्रेसी अशोक चव्हाण ने शिवसेना की सरकार में मंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बकायदा हाथ मिलाया. राजनीतिक पंडितों के लिए यह राजनीति में पश्चिम में सूरज के उदय होने जैसा है. गौरतलब है कि आदर्श घोटाले मामले में अशोक चव्हाण पर सबसे तीखे हमले शिवसेना ने ही किए थे. इसके पहले भी कई अवसरों पर दोनों नेता एक-दूसरे पर विभिन्न अवसरों पर तीखे हमले करने से नहीं चुके हैं.

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संजय राउत की नाराजगी आई सामने
इसके अलावा उद्धव ठाकरे के बहुप्रतिक्षित मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान असंतोष के सुर भी उठे. ऐसी चर्चाएं भी सामने आईं कि शिवसेना सांसद और बीजेपी के फिलहाल मुखर विरोधी संजय राउत अपने भाई सुनील राउत को मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान नहीं मिलने से असंतुष्ट हैं. हालांकि कयासबाजी तेज होते देख संजय राउत ने सफाई देते हुए खुद को शिवसेना और ठाकरे परिवार के प्रति समर्पित बताया. गठबंधन सरकार में मंत्रिमंडल में भी कोटा सिस्टम अपनाना पड़ता है. मैं इस बात से ही खुश हूं कि उद्धव ठाकरे सूबे के सीएम बन गए हैं. मैंने या मेरे भाई ने पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा है. हमारे लिए पार्टी पहले है निजी हित बहुत बाद में हैं.